फिल्मः राउडी राठौड़
डायरेक्टरः प्रभुदेवा
कास्टः अक्षय कुमार, सोनाक्षी सिन्हा, परेश गनतारा, नासर
स्टारः तीन, 3.0
संक्षिप्त टिप्पणी
कहानियों के मामले में तेलुगू और तमिल फिल्मों में फ्लैशबैक तो अनिवार्य चीज होती है। एक कहानी होगी, उसमें दूसरी कहानी होगी और फिर उसमें सबसे बड़ी महाकहानी होगी। कॉमेडी, क्रूरता, तुरंत न्याय और हीरोइज्म से भरी ऐसी ही एक तेलुगू फिल्म 'विक्रमारकुडू’ की हिंदी रीमेक (ऐसे चार-पांच रीमेक भिन्न-भिन्न भाषाओं में बन चुके हैं) है 'राउडी राठौड़’। इसमें मर्दानगी से भरा मूछों पर ताव देता हीरो है, तो खिलखिलाती तुरंत रीझकर प्यार कर बैठती सुंदर हीरोइन भी है। फिर एक ग्रामीण इलाके में खैनी चबाता, धोती पहनता, जाहिल सा विलेन भी है। हां, ये सब अफीम जैसे एंटरटेनमेंट वाली एक हिट फिल्म बनाने के साउथ के फिक्स फंडे हैं जो हर बार चल भी जाते हैं। अब ‘दबंग’, ‘वॉन्टेड’, ‘सिंघम’ और ‘राउडी राठौड़’ जैसी फिल्मों के जरिए हिंदी में भी आ गए हैं।
इस विश्लेषण को छोड़ दें तो ‘राउडी...’ जो दावा करती है, वो देती है। फिल्म कहती है कि एंटरटेन करूंगी और वो करती है। रंग-बिरंगी लोकेशन, खूबसूरत कॉस्ट्यूम और आसान कोरियोग्रफी भरे तीन-चार अच्छे गाने हैं। जिसमें ‘आ रे प्रीतम प्यारे’ गाने में शक्ति मोहन, मुमैद खान और मरियम जकारिया का नृत्य बेहद जानदार है। कहानी की सिचुएशन में बिल्कुल फिट। बहुत दिनों बाद आया ऐसा आइटम नंबर जिसकी कोरियोग्रफी अनूठी है, जो बिल्कुल भी वल्गर नहीं लगती। इसके अलावा अक्षय-सोनाक्षी की जोड़ी कुछ बिखरी मगर लुभाने वाली है। शिवा के कॉमिक अवतार में अक्षय एकरूप नहीं रह पाते। कभी सीरियस हो जाते हैं, कभी नॉर्मल तो कभी बहुत ज्यादा फनी। एएसपी विक्रम राठौड़ का रोल छोटा मगर दमदार है, दो-तीन सॉलिड डायलॉग और एक्शन से भरा। मगर शिराज अहमद के पास इस कहानी में धांसू डायलॉग लिखने की अच्छी-खासी गुंजाइश थी, जो उन्होंने खो दी। प्रभुदेवा के निर्देशन में मेहनत बहुत सारी है, पर उन्हें धार तेज करनी होगी। एडिटिंग पर ध्यान देकर फिल्म को और व्यवस्थित करना होगा। ये फिल्म अच्छी है पर मुझे ‘विक्रमारकुडू’ अपनी इंटेंसिटी और चुस्ती के लिहाज से ज्यादा बेहतर लगी। एक्टिंग में अक्षय से बेहतर हैं इसके तेलुगू वर्जन के हीरो रवि तेजा।
कहानीः व्यवहार में मजाकिया और अलग सा शिवा (अक्षय कुमार) मुंबई में अपने दोस्त के साथ मिलकर लोगों को ठगता और लूटता है। उसे प्रिया (सोनाक्षी सिन्हा) से प्यार हो जाता है। इस बीच उसे चोरी के बक्से में एक पांच-छह साल की बच्ची नेहा मिलती है, जो उसे अपना पापा कहती है। शिवा अपनी लाइफ में आई इस प्रॉब्लम से कन्फ्यूज है तभी उसे पता चलता है विक्रम राठौड़ नाम की एक शख्सियत का, जिसकी शक्ल हूबहू उसके जैसी है। बहादुरी, बदले और रोमांच से भरी इस कहानी में आगे ढेरों मोड़ आते हैं।
*** *** ***
गजेंद्र सिंह भाटी
डायरेक्टरः प्रभुदेवा
कास्टः अक्षय कुमार, सोनाक्षी सिन्हा, परेश गनतारा, नासर
स्टारः तीन, 3.0
संक्षिप्त टिप्पणी
कहानियों के मामले में तेलुगू और तमिल फिल्मों में फ्लैशबैक तो अनिवार्य चीज होती है। एक कहानी होगी, उसमें दूसरी कहानी होगी और फिर उसमें सबसे बड़ी महाकहानी होगी। कॉमेडी, क्रूरता, तुरंत न्याय और हीरोइज्म से भरी ऐसी ही एक तेलुगू फिल्म 'विक्रमारकुडू’ की हिंदी रीमेक (ऐसे चार-पांच रीमेक भिन्न-भिन्न भाषाओं में बन चुके हैं) है 'राउडी राठौड़’। इसमें मर्दानगी से भरा मूछों पर ताव देता हीरो है, तो खिलखिलाती तुरंत रीझकर प्यार कर बैठती सुंदर हीरोइन भी है। फिर एक ग्रामीण इलाके में खैनी चबाता, धोती पहनता, जाहिल सा विलेन भी है। हां, ये सब अफीम जैसे एंटरटेनमेंट वाली एक हिट फिल्म बनाने के साउथ के फिक्स फंडे हैं जो हर बार चल भी जाते हैं। अब ‘दबंग’, ‘वॉन्टेड’, ‘सिंघम’ और ‘राउडी राठौड़’ जैसी फिल्मों के जरिए हिंदी में भी आ गए हैं।
इस विश्लेषण को छोड़ दें तो ‘राउडी...’ जो दावा करती है, वो देती है। फिल्म कहती है कि एंटरटेन करूंगी और वो करती है। रंग-बिरंगी लोकेशन, खूबसूरत कॉस्ट्यूम और आसान कोरियोग्रफी भरे तीन-चार अच्छे गाने हैं। जिसमें ‘आ रे प्रीतम प्यारे’ गाने में शक्ति मोहन, मुमैद खान और मरियम जकारिया का नृत्य बेहद जानदार है। कहानी की सिचुएशन में बिल्कुल फिट। बहुत दिनों बाद आया ऐसा आइटम नंबर जिसकी कोरियोग्रफी अनूठी है, जो बिल्कुल भी वल्गर नहीं लगती। इसके अलावा अक्षय-सोनाक्षी की जोड़ी कुछ बिखरी मगर लुभाने वाली है। शिवा के कॉमिक अवतार में अक्षय एकरूप नहीं रह पाते। कभी सीरियस हो जाते हैं, कभी नॉर्मल तो कभी बहुत ज्यादा फनी। एएसपी विक्रम राठौड़ का रोल छोटा मगर दमदार है, दो-तीन सॉलिड डायलॉग और एक्शन से भरा। मगर शिराज अहमद के पास इस कहानी में धांसू डायलॉग लिखने की अच्छी-खासी गुंजाइश थी, जो उन्होंने खो दी। प्रभुदेवा के निर्देशन में मेहनत बहुत सारी है, पर उन्हें धार तेज करनी होगी। एडिटिंग पर ध्यान देकर फिल्म को और व्यवस्थित करना होगा। ये फिल्म अच्छी है पर मुझे ‘विक्रमारकुडू’ अपनी इंटेंसिटी और चुस्ती के लिहाज से ज्यादा बेहतर लगी। एक्टिंग में अक्षय से बेहतर हैं इसके तेलुगू वर्जन के हीरो रवि तेजा।
कहानीः व्यवहार में मजाकिया और अलग सा शिवा (अक्षय कुमार) मुंबई में अपने दोस्त के साथ मिलकर लोगों को ठगता और लूटता है। उसे प्रिया (सोनाक्षी सिन्हा) से प्यार हो जाता है। इस बीच उसे चोरी के बक्से में एक पांच-छह साल की बच्ची नेहा मिलती है, जो उसे अपना पापा कहती है। शिवा अपनी लाइफ में आई इस प्रॉब्लम से कन्फ्यूज है तभी उसे पता चलता है विक्रम राठौड़ नाम की एक शख्सियत का, जिसकी शक्ल हूबहू उसके जैसी है। बहादुरी, बदले और रोमांच से भरी इस कहानी में आगे ढेरों मोड़ आते हैं।
*** *** ***
गजेंद्र सिंह भाटी