बुधवार, 4 जनवरी 2012

भला, बुरा, भटका और उल्लेखनीयः सिनेमा वर्ष 2011

वो बारह महीने जो गुजर गए। वो जो अपने पीछे कुछ बड़े परदे के विस्मयकारी अनुभव छोड़ गए। वो जो ऐसे वीडियो पल देकर गए जो हमारे होने का दावा करते हुए भी हमारे लिए न थे। वो जो नुकसान की शुरुआत थे। वो जो धीरज बंधाते थे। वो जो सिनेमैटिकली इतने खूबसूरत थे कि क्या कहें, मगर पूरी तरह सार्थक न थे। वो बारह महीने बहुत कुछ थे। हालांकि मुख्यधारा की बातों में बहुत सी ऐसी क्षेत्रीय फिल्में और ऐसी फिल्में जो फीचर फिल्मों की श्रेणी में नहीं आती है, नहीं आती हैं, यहां भी नहीं है, पर कोशिश रहेगी की आगे हो।

अभी के लिए यहां पढ़ें बीते साल का सिनेमा। कुछ भला, कुछ बुरा, कुछ भटकाव को जाता और कुछ उल्लेखनीय। और भी बहुत कुछ।
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गजेंद्र सिंह भाटी