रविवार, 10 अप्रैल 2011

बच्चों का प्यारा ब्लू...

फिल्मः रियो (अंग्रेजी, थ्रीडी-एनिमेशन)
डायरेक्टरः कार्लोस सेल्दाना
वॉयसः जेसी आइजनबर्ग, एनी हैथवे, रॉड्रिगो सेंतोरो, बेबल गिलबर्टो, केट डि कास्टिलो, जेमी फॉक्स, जॉर्ज लोपेज, विलियम, ट्रेसी मॉर्गन, जेक टी. ऑस्टिन, लेस्ली मेन, जेमीन क्लीमेंट, जेन लिंच, रॉबिन थाइक
स्टारः तीन, 3.0


फीचर फिल्मों के मुकाबले एनिमेशन मूवीज हमेशा बेस्ट परफॉर्म करती हैं। 'रियो' पहले आ चुकी 'शार्क टेल्स' या 'आइस एज' जितनी फनी तो नहीं है पर नीले तोते की ये कहानी बच्चों को खूब पसंद आएगी। ज्यादा कैरेक्टर होने की वजह से कहीं मूवी कुछ भारी होती है पर ओवरऑल ठीक लगती हैं। मुझे निराशा हुई कहानी से, क्योंकि इसमें पूरा टच बॉलीवुड वाला आ जाता है। हथकड़ी में बंधे हमारे नीले हीरो-हीरोइन तोते दुश्मनों से भाग रहे हैं और धीरे-धीरे उन्हें प्यार हो जाता है। क्लाइमैक्स पूरा फिल्मी है। ब्लू उड़ नहीं सकता ये फैक्ट कुछ ज्यादा लंबा खिंच जाता है। इसके अलावा मूवी में इमोशनल मूमेंट्स की भी कुछ कमी है। बड़ों को ये फिल्म जहां नॉर्मल लगेगी वहीं बच्चे शुरू से आखिर तक खिलखिलाने के कई मौके ढूंढ ही लेंगे।

सुनो बच्चों कहानी
ब्राजील के जंगलों में झूमते-गाते रंग-बिरंगे पंछियों पर बहेलियों का हमला होता है। तस्करी के लिए वो सब विशेष किस्म के पंछियों को कैद कर अमेरिका ले आते हैं। इनमें एक होता है छोटा सा नीला तोता ब्लू (जेसी आइजनबर्ग), जिसका पिंजरा मूर लेक मिनेसोटा में वैन से गिर जाता है। इस मकाउ स्पीशीज के दुर्लभ तोते को पालती है छोटी बच्ची लिंडा। दोनों साथ बड़े होते हैं। इसी बीच एक वैज्ञानिक टूलियो (रॉड्रिगो सेंतोरो) लिंडा को बताता है कि ब्लू की प्रजाति का एक फीमेल तोता उसे मिला है और इनकी स्पीशीज को आगे बढ़ाने के लिए ब्लू को ब्राजील ले जाना होगा। बस वहां जाना होता है और घर में पले ब्लू की जिंदगी में आफत आ जाती है। वहां कुछ तस्कर और उनका विलेन जैसा पालतू मुर्गा नाइजल (जेमीन क्लीमेंट) पीछे पड़ जाता है। अब उसे खुद को भी बचाना है और अपने लव जूल (एनी हैथवे) को भी। इसमें उनकी मदद करते हैं एक बुलडॉग लुइस (ट्रेसी मॉर्गन), नीली गर्दन वाला मुर्गा पेद्रो (विलियम), हरे ढक्कन की टोपी पहने पीली चिडिय़ा नीको (जेमी फॉक्स) और लकड़ी में छेद करने वाला पंछी राफेल (जॉर्ज लोपेज).

चित्रकथा चश्मे वाली
थ्री-डी के चश्मे के साथ रोशनी की प्रॉबल्म है। इमेजेज बिल्कुल करीब और जिंदा लगती हैं पर अंधेरे से सिरदर्द होने लगता है। यहां तक कि परदे पर से रोशनी आपके सामने पर कुर्सियों से रिफ्लेक्ट होने लगती है और ये अजीब लगता है। इसके अलावा कुछ चीजें तो कमाल की हैं। बुलडॉग के मुंह से लटकती मोटी-मोटी लार हो या लाल मोटरसाइकल की हैडलाइप पर लगा जंग... सब-कुछ किसी रियल मूवी से भी रियल लगता है। फिल्म में एनिमेशन का काम इतना बारीक है कि कहीं कोई गलती नहीं निकाल सकते, सिवाय शाम के दृश्यों में धुंधली होती रोशनी के। नीले रंग के ब्लू और जूल नीले ही बैकग्राउंड में देखने में अजीब लगते हैं। ये ध्यान रहे कि 'रियो' किसी कैरेक्टर का नाम नहीं है, बल्कि ये ब्राजील के शहर रियो डि जेनेरो के लिए यूज किया गया है।

वॉयस देवता कौन
'सोशल नेटवर्क' के बाद तुरंत ही जेसी आइजनबर्ग की आवाज सुनने को मिल गई। उनकी और एनी हैथवे की जोड़ी वॉयसओवर में जमती है। एक बैचेन-सॉफिस्टिकेटेड तोते की आवाज में जेसी अपने बाकी मूवी कैरेक्टर जैसे लगते हैं। इसमें मार्क जकरबर्ग के निभाए कैरेक्टर को भी शामिल कर सकते हैं। एनी हैथवे कॉन्फिडेंस से भरी नजाकत वाली शी-पैरट ब्लू को आवाज देते हुए खुद सी लगती हैं। फिल्म के हिंदी वर्जन में अपनी आवाज देते हैं विनय पाठक और रणवीर शौरी। मुझे अंग्रेजी वॉयसओवर ज्यादा बेहतर लगा। विलेन मुर्गे नाइजल को आवाज देते जेमीन क्लीमेंट कुछ-कुछ अमरीश पुरी का सा असर छोड़ते हैं।

आखिर में...
डायरेक्टर कार्लोस सेल्दाना ब्राजील के हैं और लंबे टाइम से 'रियो डि जेनेरो' की कहानी कहना चाहते थे। उन्होंने ब्राजीली म्यूजिक और मूड वाली ये फिल्म बना भी दी है, पर बेस्ट तो आज भी 'आइस एज' सीरिज की उनकी मूवीज ही हैं। (प्रकाशित)
गजेंद्र सिंह भाटी