निर्देशकः जे.जे.अब्राम्स
कास्टः जोएल कटर्नी, राइली ग्रिफिथ्स, एल फैनिंग, जैक मिल्स, गैब्रिएल बासो, रायन ली, काइल शैंडलर
स्टारः साढ़े तीन, 3.5
चार्ल्स काज्निक का सुपर ऐट कैमरा से फिल्म शूट करना, सब्जेक्ट एक जॉम्बी मूवी होना, प्रॉडक्शन वैल्यू की बातें करना, फिल्म को इंडिपेंडेंट फिल्म फेस्टिवल्स में ले जाने की सोचना और कास्ट-क्रू में स्कूल फ्रेंड्स को रखना। ये सिर्फ 'सुपर 8' नाम की इस फिल्म के कैरेक्टर चार्ल्स की बात नहीं है। इसमें वो समानताएं हैं जो फिल्म के प्रॉड्यूसर स्टीवन स्पीलबर्ग की टीनएज लाइफ और फिल्ममेकर पीटर जैकसन की जॉम्बी मूवी बनाने की स्कूली कोशिशों तक जाती है। आज अमेरिकी सिनेमा में जो भी बड़े फिल्ममेकर दिखते हैं, उनके बचपन का अंश इस फिल्म के सभी छह बच्चों में दिखता है। और आखिर में वो भी फिल्म बना लेते हैं। 'सुपर 8' से लगता है जैसे कोई आठ बच्चे सुपरहीरो हैं और एडवेंचर करते हैं। जबकि यहां सुपर ऐट का मतलब मूवी कैमरे से है। खैर, इस फिल्म में खास है जे.जे.अब्राम्स की स्क्रिप्ट और डायरेक्शन। कहीं पर भी हॉलीवुड फिल्मों के क्लीशे की बू नहीं आती। लास्ट में एलियन वाले फैक्टर में आती भी है तो ओवरऑल काम चल जाता है। मैं इस फिल्म को इसकी इनोवेटिव और रियल लगती काल्पनिक स्टोरी के लिए और सब एक्टर्स की बेहतरीन एक्टिंग के लिए फिर से देखना चाहूंगा। बच्चे ये फिल्म देखेंगे तो पाएंगे कि कैसे उन्हीं की उम्र के कुछ बच्चे फिल्म बनाने के अपने पैशन को फॉलो कर रहे हैं और बहादुरी से अपने दोस्तों की मदद कर रहे हैं।
सुपर छह पर जो बीतती है
ये 1979 में अमेरिका के ओहायो स्टेट की बात है। छह बच्चे हैं। जो लैंब (जोएल कटर्नी), चार्ल्स काज्निक (राइली ग्रिफिथ्स), एलिस (एल फैनिंग), प्रेस्टन (जैक मिल्स), मार्टिन (गैब्रिएल बासो) और केरी (रायन ली)। ये अप

ये यूं देखिए
पहले ही सीन से जहां 'जो लैंब' की मां की एक्सीडेंट में मौत हो गई है, वह बाहर झूले पर बैठा है, सब रिश्तेदार और स्कूली दोस्त घर के भीतर बातें कर रहे हैं। वहां आप चार्ल्स बने राइली ग्रिफिथ्स को देखिए। वो यहां इतना धीमे-धीमे और फ्लो में डायलॉग डिलीवर कर रहा है कि अचरज होता है। फिर चार महीने बाद स्कूल में एकदम अलग ही पैशनेट चाइल्ड डायरेक्टर वाले पैशन में हम उसे देखते हैं। ऐसा ही एलिस बनी एल फैनिंग के रेल डिपो पर जॉम्बी मूवी की हिरोइन के तौर पर इमोशनल डायलॉग डिलीवरी करने को देखिए। इसी तरह फनी है केरी बने रायन ली का जॉम्बी बनने की एक्टिंग करना। ये सब छोटे मगर इनोसेंट एफर्ट हैं जो सच्चे लगते हैं। डायरेक्शन में एक खासियत ये है कि इसमें हर सीन में दर्जनों चीजें साथ हो रही होती हैं। जैसे जब चाल्र्स फोन पर अपने दोस्तों से बात कर रहा होता है तो पीछे उसके भाई-बहन ऊधम मचा रहे होते हैं, पिता अपनी बेटी को ढंग के कपड़े पहनने को कह रहे होते हैं, वो पलट कर बहस कर रही होती है और मां अलग।
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गजेंद्र सिंह भाटी