फिल्मः शरलॉक होम्स अ गेम ऑफ शैडोज (अंग्रेजी)
निर्देशकः गाय रिची
कास्टः रॉबर्ट डाउनी. जूनियर, जूट लॉ, जैरेड हैरिस, रैचल मैकएडम्स, स्टीफन फ्राई, नूमी रीपेस, पॉल एंडरसन, कैली रायली
स्टारः साढ़े तीन, 3.5डायरेक्टर गाय रिची की ये सीक्वल 'शरलॉक होम्स: ए गेम ऑफ शेडौज’ 2009 में उन्हीं के निर्देशन में आई पहली फिल्म से ज्यादा तेज, स्मार्ट और इंसानी लगती है। पूरे दो घंटे और कुछ मिनट हम आंखें परदे पर ही गड़ाए रखते हैं, कहीं बोरियत नहीं, कहीं घिसे-पिटे फिल्मी फॉर्म्युले नहीं। फिल्म का प्रस्तुतिकरण बहुत जगह रंग बदलता है, एक्सपेरिमेंटल लगता है। एक्शन सीक्वेंस में, स्लो मोशन वाले सीन में, तनाव भरे पलों में उपजते ह्यूमर में और हांस फ्लोरियन जिमर के रहस्य भरे बैकग्राउंड म्यूजिक में, फिल्म जायका बदलती चलती है। फिल्म जरूर देखें, मेरी सीधी हां है। मजा आएगा।
डाउनी जूनियर और जूड लॉ की जोड़ी पहले सी ही फ्रैश है। अब वॉटसन बने जूड की शादी का एंगल आ गया है, जिससे दोनों के बीच नोकझोंक होती है। मसलन, पुल के ऊपर से ट्रेन गुजर रही है और मारियाती के आदमियों ने हनीमून मनाने जा रहे वॉटसन और उसकी नवविवाहित वाइफ मैरी के डिब्बे पर हमला बोल दिया है। इस बीच औरत का रूप धरे होम्स आता है और मैरी को कई फुट नीचे नदी में फैंक देता है। यहां दर्शकों को हंसी आने लगती है, क्योंकि वॉटसन अपनी वाइफ को नीचे धकेलने के लिए उससे लड़ रहा है और होम्स कह रहा है कि “डोंट वरी, फैंकते वक्त मेरी टाइमिंग बहुत अच्छी थी, उसे कुछ नहीं होगा।” इस तरह ये शादी का रेफरेंस दोनों के बीच आता-जाता रहता है।
विलेन मारियाती बने जैरेड हैरिस लुक्स और अभिनय में गैरपारंपरिक लगते हैं। हीरो के तेज दिमाग को टक्कर देते हुए। उनका और होम्स का क्लाइमैक्स सीन देखिए। यहां दोनों दिमाग में ही गणित के मुश्किल सूत्र हल करने के अंदाज में शतरंज की चाल चल रहे हैं और लडऩे के एक-एक स्टेप को पहले ही प्रडिक्ट कर रहे हैं। हालांकि आखिर में किसका मोहरा हावी रहता है ये तो सस्पेंस है, पर तरीका इंट्रेस्टिंग है। होम्स तो सोचता भी ऐसे ही है। एक छोटे से सुराग से कुछ सेकंड में मन ही मन अगले दर्जनों स्टेप सोच लेना।
गाय रिची ने फिल्म में एक्शन सीक्वेंस में स्लो मोशन का चतुर इस्तेमाल किया है। चाहे, होम्स का हर लड़ाई से पहले स्लो मोशन में हर फाइट एक्शन को मन में सोचना हो या जंगलों में से होते हुए मारियाती के आदमियों से भागना। इस दौरान जो गोलियां और हथगोले छूट रहे हैं, वो हमें बड़ी धीमी रफ्तार में पेड़ों की छाल छीलते, मिट्टी उछालते और बाहें खरोंचते नजर आते हैं। मंत्रमुग्ध करते हुए।
डाउनी जूनियर होम्स के रोल में पानी की तरह घुले लगते हैं। हालांकि डाउनी दिखने में स्कॉटिश राइटर सर ऑर्थर कॉनन डॉयेल के इस काल्पनिक किरदार जैसे नहीं हैं। डॉयेल के स्कैच वाला होम्स ज्यादा बूढ़ा, पीछे खिसकी हेयरलाइन वाला और ज्यादा सनकी था, जबकि हमारे डाउनी जूनियर किरदार में अपने हाव-भाव डालते हैं, जो अच्छे लगते हैं। उनका बिना सोचे-समझे हर खतरे में टांग अड़ा देना, फिर कभी पिटना, कभी पीट देना, इस नामी जासूस को हमारे जैसा इंसानी ही लगता है। उनके ह्यूमर की टाइमिंग सौ साल पुराने इस किरदार को हमारे आज के टेस्ट के मुताबिक बनाती है।
फिल्म के छोटा सा सीन है, पर स्मृतियों में रह गया। होम्स के भाई माइकॉफ्ट का रोल कर रहे स्टीफन फ्राई अपने घर में सुबह-सुबह बिना कपड़ों के घूम रहे हैं और सामने वॉटसन की वाइफ मैरी आ जाती है, जो ये माजरा देख चकरा जाती है। अब खुद का नंगा होना तो माइकॉफ्ट के लिए तो जैसे कोई बात ही नहीं है, पर मैरी उसे देखने से बचते-बचाते हुए अपने पति की जानकारी उससे ले रही है।
सायों के खेल में होम्स और वॉटसन
हम 1891 के लंदन में हैं। ख्यात जासूस शरलॉक होम्स (रॉबर्ट डाउनी, जूनियर) इस बार मशहूर प्रफेसर और अपने पुराने दुश्मन मारियाती (जेरेड हैरिस) के खिलाफ सबूत जुटा रहा है। नामी डॉक्टर हॉफमैनस्टॉल और होम्स की लव इंट्रेस्ट इरीन एडलर (रैचेल मैकएडम्स) मारे जा चुके हैं। जब होम्स का दोस्त और जासूसी करतबों का साथी डॉ. वॉटसन (जूड लॉ) उससे मिलता है तो होम्स बताता है कि बहुत से कत्लों, आतंकी घटनाओं और कारोबारी अधिग्रहणों का सिरा मारियाती पर जाकर टिकता है। हालांकि वॉटसन मैरी (कैली रायली) से शादी कर रहा है, पर होम्स के मनाने पर वह इस केस में भी उसका साथ देता है और दोनों मारियाती को रोकने में जुटते हैं। इसी कहानी में एक घुमंतू लड़की सिम्जा (नूमी रीपेस), होम्स का भाई माइकॉफ्ट (स्टीफन फ्राई) और मारियाती का खास आदमी सबैश्चियन मोरान (पॉल एंडरसन) के किरदार भी आते हैं।
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गजेंद्र सिंह भाटी