रविवार, 25 सितंबर 2011

ये स्पीडी संसार बेलिया

फिल्म: स्पीडी सिंग्स
निर्देशक: रॉबर्ट लीबरमैन
कास्ट: विनय विरमाणी, रसल पीटर्स, कैमिला बेल, अनुपम खेर, रॉब लो, सकीना जाफरी, गुरप्रीत घुग्गी
स्टार: तीन, 3.0

इंटरनेशनली 'ब्रेकअवे' के नाम से रिलीज हुई हमारी 'स्पीडी सिंग्स' एक संतोषजनक फिल्म है। बहुत नई और धांसू नहीं है पर निराश नहीं करती। आप एंजॉय करते हैं। फिल्म में रसल पीटर्स जैसे बेहद फेमस स्टैंड अप कॉमेडियन हैं, गुरप्रीत घुग्गी हैं और अनुपम खेर हैं पर सब जाया हैं। क्योंकि उनके इंग्लिश बोलते चेहरों के पीछे दूसरे लोगों के हिंदी वॉयसओवर फिट नहीं हो पाते। अब रसल पीटर्स को ही लीजिए। उन्हें हम पसंद ही उनके हिंदी डायलॉग्स, एक्सेंट और टाइमिंग की वजह से करते हैं। वॉयसओवर में सब दब जाता है। शेरां दी कौम पंजाबी... वीर जी वियोण चलेया... और ए साडा संसार बेलिया... जैसे गाने थियेटर में बैठे लोगों को खूब पंसद आते हैं। हल्की-फुल्की अच्छी एंटरटेनर हैं। ट्राई कर सकते हैं।

स्पीडी सिंग्स की कहानी
दरवेश सिंह (अनुपम खेर) टोरंटो में रहते हैं। वाहेगुरु और अपने बिजनेस को सबकुछ मानते हैं। बेटा राजवीर (विनय विरमाणी) आइस हॉकी खेलना चाहता है पर पिता क्रिकेट पसंद करते हैं (उनके मुताबिक क्रिकेट को इंडियन देखते हैं, आइस हॉकी को कौन जानता है)। वह चाहते हैं कि राजवीर अपने चाचा अंकल सैमी (गुरप्रीत घुग्गी) के ट्रक बिजनेस का वारिस बने। बाप-बेटे में यही अनबन है। अपने पैशन को पूरा करने के लिए राजवीर पूरी तरह से सिख दोस्तों की आइस हॉकी टीम भी बना लेता है और कोच डैन (रोब लोव) को भी मना लेता है। पर चुनौतियां तो बस शुरू हुई हैं।

कुछ कड़वा
# आइस हॉकी पर डायरेक्टर रॉबर्ट लीबरमैन ने 'द माइटी डक्स 3' भी बनाई थी और गेम के लिहाज से वो फिल्म उनकी 'स्पीडी सिंग्स' से बहुत बेहतर है।
# कैनेडा की पृष्ठभूमि में अक्षय कुमार की 'पटियाला हाउस' में भी खेल (क्रिकेट), बाप-बेटे के रिश्तों की अनबन, पराई धरती पर अपना अस्तित्व साबित करने की कोशिश और सिखों के मान की बात थी। यहां भी ये सब है। यहां खेल है आइस हॉकी का और ये फिल्म ज्यादा इमोशनल टेंशन नहीं देती।
# फिल्म के लीड एक्टर विनय की ही लिखी इस फिल्म में बहुत की हॉलीवुड फिल्मों का घालमेल है। हंसी-मजाक और पंजाबी म्यूजिक भी बिल्कुल नया नहीं है, पर दोबारा देख-सुनकर भी हम पकते नहीं हैं।
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गजेंद्र सिंह भाटी