निर्देशकः अनु मेनन
कास्टः अदिति राव हैदरी, अली जफर
स्टारः तीन, 3.0
दो किरदार दोनों कई बराबर
# पूरी फिल्म अली और अदिति के दो किरदारों पर ही बनी है, फिर भी संपूर्ण लगती है। कमर्शियल फिल्मों में ये प्रयोग नहीं होते कि एक-दो लोगों को लेकर पूरी फिल्म बने। यहां है। ये प्यार करने वालों की 'एक रुका हुआ फैसला' है।
# अली जफर को जो सीरियसली नहीं लेते, वो इस फिल्म के बाद ले सकेंगे। क्लाइमैक्स में उनका इमोशनल सीन सन्न करता है, चार-पांच पलों के लिए ही सही। अली ने फिल्म में म्यूजिक दिया और बोल लिखे हैं, जो खुशनुमा है। फिर से, म्यूजिक बड़ा सिंपल और ऑरिजिनल लगता है।
# अदिति ने 'ये साली जिंदगी' में ज्यादा यादगार रोल किया था। ये रोल उतना यादगार नहीं, पर किरदार के हाव-भाव अलग बनाने की उनकी कोशिशें दिखती हैं।
प्यार है, प्यार नहीं है: कहानी
निखिल चोपड़ा (अली जफर) की फिल्म 'लिविंग विद माई ब्रदर्स घोस्ट' रिलीज हुई है। मीडिया को इंटरव्यू देकर वह किसी से मिलने निकलता है। फ्लैशबैक में कहानी चलती है। जब 2005 में लंदन में वह ललिता (अदिति राव हैदरी) से एयरपोर्ट में मिलता था। ललिता फैमिनिस्ट है और महिलाओं और यूथ के लिए ग्रेटर पॉलिटिकल पार्टिशिपेशन की बातें करती है। वह दोनों साथ वक्त बिताते हैं, एक लगाव पनपता है। दोनों के बीच रोचक बातें होती हैं। बाद में पैरिस और न्यू यॉर्क में इनका बिछडऩा और मिलना होता है।
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गजेंद्र सिंह भाटी