फिल्मः कहानी
निर्देशकः सुजॉय घोष
कास्टः विद्या बालन, परमब्रत चैटर्जी, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, इंद्रनील सेनगुप्ता, नित्य गांगुली, कल्याण चैटर्जी, रिद्दी सेन, शाश्वत चैटर्जी, खराज मुखर्जी, दर्शन जरीवाला
स्टारः तीन, 3.0
हालांकि आमिर खान स्टारर ‘तलाश’ आने को है, पर उससे पहले ही एक इज्जतदार थ्रिलर आई है कहानी। शुरू से आखिर तक फिल्म में पर्याप्त रहस्यमयी किरदार, घटनाक्रम और खुलासे हैं। डायरेक्टर सुजॉय घोष ने ‘होम डिलीवरी’ और ‘अलादीन’ जैसी अपूर्ण मनोरंजक फिल्मों के बाद खुद के लिए अपने करियर का पहला मोक्ष पा लिया है। फिल्म में उन्होंने तमाम प्रयोग किए हैं और उनपर कंट्रोल रखते हुए किए हैं। विद्या की मदद करने वाले कुशल बंगाली एक्टर परमब्रत चैटर्जी के किरदार का नाम सात्योकि रखा, जिसका मतलब होता है सात्यकि यानी महाभारत में अर्जुन का सारथी। यहां वह विद्या की महाभारत में उनका सारथी है। जिस जीरो स्टार होटल में विद्या ठहरी हैं, उसका इंट्रेस्टिंग रिसेप्शनिस्ट, वहां काम करने वाला छोटा लड़का, इंश्योरेंस एजेंट के भेस में स्लीपर सेल की तरह शूटर का काम करने वाला एक और शानदार बंगाली एक्टर या फिर इंटेलिजेंस का ऑफिसर ए. खान (नवाजुद्दीन सिद्दिकी) ये सब फिल्म के नगीने हैं। इनकी अदाकारी को आप इनके रोल के आकार के हिसाब से नहीं देख सकते, ये उम्दा हैं। सबको ढेरों तारीफें। इनके किरदारों को सुजॉय ने अच्छे से गढ़ा है। जैसे, खान के इतना गुस्सा क्यों आता है, वह छोटा लड़का इतना प्यारा क्यों है, विद्या बच्चों के साथ इतने प्यार से बर्ताव कैसे कर लेती हैं, इंस्पेक्टर सात्योकि के मन में विद्या के लिए एक पवित्र प्रेम कैसे उमड़-घुमड़ रहा है और कभी पुलिस का मुखबिर हुआ करता वह बूढ़ा बंगाली एक्टर कितना अपारंपरिक मुखबिर लगता है। इन्हीं सब सवालों और जवाबों के बीच फिल्म की कहानी अनोखी है, क्लाइमैक्स तो वाकई अप्रत्याशित है। मैं दावा कर सकता हूं कि हमने ये क्लाइमैक्स किसी अंग्रेजी फिल्म में भी शायद ही देखा होगा।
दो घंटे मनोरंजन पाने थियेटर गए लोगों को लंबे वक्त तक शायद फिल्म में क्या हो रहा है ये समझ न आए। और, थ्रिलर जॉनर को पसंद करने वाले दर्शकों को शायद फिल्म हार्डकोर न लगे, उनके रौंगटे शायद न खड़े हों, पर ‘कहानी’ जैसी भी है, एक अच्छी फिल्म है। इसमें जो मनोरंजन है वो तरोताजा भी है, स्वस्थ भी है और देखने लायक भी है। बिल्कुल देखें।
कहानी सुनोगे...
कोलकाता मेट्रो में एक जैविक आतंकी हमला होता है, जिसमें बहुत सारे लोग मारे जाते हैं। उसके दो साल बाद का दृश्य। लंदन से एक फ्लाइट कोलकाता आती है। और, हवाई अड्डे से बाहर निकलती है प्रेग्नेंट विद्या बागची (विद्या बालन), जो टैक्सी वाले को सीधे कालीबाड़ी पुलिस स्टेशन चलने को कहती है। वहां वह रपट लिखवाती है कि उनका हस्बैंड, नाम – अर्नब बागची, उम्र – 33, रंग – सांवला, कद – 5 फुट 11 इंच... गुमशुदा है। वह बताती है कि वह दोनों फायरवॉल एक्सपर्ट हैं और अर्नब इंडिया किसी असाइनमेंट पर आया था और लौटा नहीं। रपट लिखवाने के बाद विद्या उसे खोजने की अपनी यात्रा पर आगे बढ़ती है। इस काम में उसकी मदद करता है वहीं पुलिस स्टेशन का एक इंस्पेक्टर सात्योकि सिन्हा (परमब्रत चैटर्जी)। बाद में खोज और कहानी और गहरी होती जाती है और मामला गुप्तचर एंजेसियों से जुड़ा निकलता है।
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गजेंद्र सिंह भाटी