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Tuesday, July 17, 2012

रॉक के दीवाने होंगे राजी, पर आम दर्शक माथा फोड़ लेंगे

फिल्मः रॉक ऑफ एजेस
डायरेक्टरः एडम शैंकमैन
कास्टः टॉम क्रूज, डिएगो बोनेटा, जूलिएन हू, पॉल जियामेटी, कैथरीन जेटा जोन्स, रसैल ब्रैंड, एलेक बॉल्डविन
स्टारः दो, 2.0
संक्षिप्त टिप्पणी

डायरेक्टर एडम शैंकमैन की ये अमेरिकी फिल्म हमारी हिंदी की ‘इंद्रसभा’ जैसी है। 1932 में आई इंद्रसभा में तकरीबन 70 गाने थे तो दो घंटों वाली ‘रॉक ऑफ एजेस’ में 20 गाने हैं। चूंकि ये एक म्यूजिकल प्ले और किताब पर बनी है, चूंकि ये 1980 के रॉक वल्र्ड को दी गई कॉमिकल श्रद्धांजलि है इसलिए हॉलीवुड फिल्मों का कोई ढांचा इसमें नहीं दिखता। इसमें बॉलीवुड वाला ढांचा है। गोविंदा वाले अंदाज में कैरेक्टर हर दूसरे-तीसरे सीन में गाना गाने लगते हैं। लीड कैरेक्टर के पीछे दर्जनों डांसर नाचने लगते हैं। ऐसी फिल्में अमेरिका में तीस-चालीस साल पहले बना करती थी। ये देख अपने देसी दर्शक चौंकते हैं, परेशान होते हैं, माथा खुजाते हैं, आगे वाली सीट पर सिर पटकते हैं और इस फिल्म में लाने के लिए दोस्तों को कोसते हैं। पर मैं इसे बुरी फिल्म नहीं मानता। सब्जेक्ट अलग है बस।

‘रॉक ऑफ एजेस’ में हमारी जान-पहचान वाला एक ही चेहरा है, टॉम क्रूज का। पर वो यहां ‘मिशन इम्पॉसिबल’ वाले अंदाज में नहीं हैं। यहां वो शराब, से-क्-स और स्टारडम के नशे में चौबीस घंटे चूर रहने वाले एक 80 के दशक के रॉकस्टार के रोल में बिल्कुल अलग लगते हैं। उनका किरदार बहुत सतही भी है लेकिन महसूस करने वाला महसूस कर सकता है कि जिंदगी में संगीत की तलाश में स्टेसी कितना सनकी और कसेला हो चुका है, कितना नियमहीन हो चुका है। फिल्म में एलेक बॉल्डविन, कैथरीन जेटा-जोन्स, रसेल ब्रैंड और पॉल जियोमेटी जैसे नामी एक्टर्स का होना भी बड़ा आकर्षण है पर ज्यादातर दर्शक उनसे परिचित नहीं हैं। स्पाइस गल्र्स के टूर कोरियोग्राफ करने और जैनेट जैक्सन के वीडियो में डांस करने वाले एडम का डायरेक्शन गहरे म्यूजिकल मिजाज वाला है, पर प्ले को फिल्म में तब्दील करते हुए वह कहानी को और पैना कर सकते थे।

रॉक के उस दौर की कहानीः 1987 के दौर में रॉक एन रोल म्यूजिक से प्यार करने वालों की कहानी है। ओकलाहोमा से सिंगर बनने शैरी लॉस एंजेल्स आती है। वहां उसे ‘द बरबन रूम’ नाइटक्लब में काम करने वाले ड्रू से प्यार हो जाता है, जो रॉक स्टार बनना चाहता है। क्लब तंगी की हालत में है। उसे उबारने के लिए क्लब का मालिक रॉकस्टार स्टेसी जैक्स को परफॉर्म करने को कहता है। स्टेसी को सच्चे प्यार और म्यूजिक की तलाश है पर वो सनकी है, नशे में रहता है। उधर मेयर की कंजरवेटिव वाइफ चर्च के साथ मिलकर इस क्लब को बंद करवाना चाह रही है। ताकि शहर से-क्-स, ड्रग्स और रॉक एन रोल से मुक्त हो जाए।
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गजेंद्र सिंह भाटी

Saturday, December 17, 2011

इस एलीट एक्शन में कुछ हंसी लाए हैं रैटाटूई वाले ब्रेड बर्ड

फिल्मः मिशन इम्पॉसिबल-घोस्ट प्रोटोकॉल (अंग्रेजी)
निर्देशक: ब्रेड बर्ड
कास्ट: टॉम क्रूज, पॉला पैटन, जैरेमी रेनर, साइमन पेग, माइकल नेक्विस्ट, अनिल कपूर, व्लादिमीर माशकोव
स्टार: तीन, 3.0'मिशन: इम्पॉसिबल-घोस्ट प्रोटोकॉल' का सबसे थ्रिलिंग सी है। ईथन बने टॉम क्रूज दुबई की 2,717 फुट ऊंची ईमारत बुर्ज खलीफा की एक सौ चौबीसवीं मंजिल पर, कांच पर सिर्फ चुंबकी दस्तानों के सहारे चढ़ रहे हैं। बिना कोई सिक्योरिटी वायर पहने। नीचे गिरे तो मौत पक्की। तभी कुछ बुरा होता है। एक दस्ताने की बैटरी खत्म हो जाती है। वो उस दस्ताने को फैंक देते हैं। मौत से बाल-बाल बचते हुए कुछ ऊप चढ़ते हैं तो देखते हैं कि हवा से उड़कर वो दस्ताना जरा दूर कांच पर चिपक गया है। जैसे हीरो को चिढ़ा रहा हो। सीन में यहां ऐसा कॉमिक सेंस बनता है कि ऑडियंस हंस पड़ती है। यकीन नहीं होता कि मिशन इम्पॉसिबल जैसी एलीट एक्शन सीरिज में, सबसे रौंगटे खड़े करने वाले सीन में भी हमें हंसाने की कोशिश हो सकती है। चुस्त एक्शन में चुटकी काटने भर की कॉमेडी की एंट्री इस फ्रैंचाइजी में डायरेक्टर ब्रेड बर्ड की एंट्री से ही हो जाती है। इन्होंने 'रैटाटूई' और 'द इनक्रेडेबल्स' जैसी फनी फन फिल्में बनाई है। अगर दुबई, मुंबई और मॉस्को में ईथन के जेम्स बॉन्डनुमा सनसनीखेज एक्शन सीन कहीं कम नहीं होते तो बीच-बीच में चपल हास्य भी घुलता रहता है।

अस्पताल से भागने की कोशिश में खिड़की से बाहर हवा में टंगा ईथन फंस गया है, तो मुंह में सिगरेट दाबे रूसी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव सिदिरोव (व्लादिमीर माशकोव) खिड़की पर कुहनियां टिकाए कहता है, '(इशारे में) अब कूदो। नॉट गुड आइडिया।' ईथन वापिस कहता है, 'एक मिनट पहले तो लगा था।' इसी तरह बुर्ज खलीफा वाले स्टंट में मरते-मरते बचे ईथन और ब्रैंट को हांफते देख बस कुछ टेक्नीकल काम करके कमरे में लौटा बेंजी कहता है, 'ओह, ड़ा टफ काम है। (फिर) तुम लोग हांफ क्यों रहे हो, डि आई मिस समथिंग।'

उपलब्धि के नाम पर फिल्म में डायरेक्टर बर्ड का ये सेंस ऑफ ह्यूमर ही है। बाकी 'एम.आई.-4' में जो दावे स्टंट्स को लेकर किए गए थे, वो हैं। आप थियेटर में जाकर देख सकते हैं। फिल्म एंगेज करके रखती है। पर सीक्वल में हमारी उम्मीदें बिलाशक बहुत ज्यादा थी, जो पूरी नहीं हुईं। इसके अलावा स्क्रिप्ट के स्तर पर कुछ अनोखा सोचने की जरूरत है। क्या प्रॉड्यूसर लोग पढ़ रहे हैं? बीच में हमें लगता है कि उसी पुराने 'रूसी बुरे और विलेन होते हैं, अमेरिकी अच्छे होते हैं' ट्रैक पर फिल्म दौड़ रही है, पर कहानी कुछ बदल जाती है। पर अंत में वही होत़ा है, एक अमेरिकी हीरो हो जाता है और एक रूसी उसे थैंक यू बोल रहा होता है। हद है भई।

खैर, जैरेमी रेनर फिल्म में स्मार्टनेस लाते हैं और क्रोएशिया के अपने मिशन के बारे में बताते हुए इंटेंस लगते हैं। अच्छा है। साइमन पेग सबसे इंट्रेस्टिंग हैं। अगली फिल्म में भी वो जरूर रहेंगे। वो हर सीन में राहत देते हैं। अनिल कपूर का रोल सबसे कमजोर है। तकरीबन न के बराबर। पर अचरज क्या करना, एशियन कलाकारों का कद अमेरिकी फिल्मों में इतना ही तो रखा जाता है।

एम.आई. 4 की कहानी
आईएमएफ की एजेंट कार्टर (पॉला पैटन) और टेक्नीकल फील्ड एजेंट बेंजी (साइमन पेग) मॉस्को की एक जेल में बंद मशहूर एजेंट ईथन हंट (टॉम क्रूज) को निकालते हैं। अब ये ईथन की नई टीम है और उन्हें अगला मिशन मिलता है रूस के मशहूर क्रेमलिन पैलेस से सीक्रेट डॉक्युमेंट चुराने और 'कोबाल्ट' कोड नेम वाले शख्स का पता लगाने का। उनके इस मिशन के बीचोंबीच के्रमलिन का एक हिस्सा बम से उड़ा दिया जाता है। इसका आरोप अमेरिका पर लगता है। ईथन को आईएमएफ सेक्रेटरी (टॉम विल्किनसन) बताते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऑपरेशन 'घोस्ट प्रोटोकॉल' घोषित कर दिया है। इसका मतलब होता है कि पूरी संस्था आईएमएफ को बंद कर दिया जाए। पर ईथन और उसकी टीम को सरकार के हाथों में पडऩे से पहले कोबाल्ट का पता लगाना है और क्रेमलिन पर हमले का दाग अमेरिका के सिर से धोना है। इस टीम में अब आईएमएफ का डेस्क एनेलिस्ट विलियम ब्रैंट (जैरेमी रेनर) भी शामिल है। इन लोगों का लक्ष्य दुबई से होता हुआ मुंबई तक जाता है। कहानी के प्रमुख किरदारों में रूसी न्यूक्लियर रणनीतिकार कर्ट हैंड्रिक्स (माइकल नेक्विस्ट) भी है। अनिल कपूर मुंबई के मशहूर रईस बृजनाथ बने हैं।


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गजेंद्र सिंह भाटी