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Sunday, February 26, 2012

मार्क वॉलबर्ग की बाकी फिल्मों सी तृप्ति यहां भी

फिल्म: कॉन्ट्राबैंड
निर्देशकः बाल्टसर कॉर्मेकर
कास्टः मार्क वॉलबर्ग, केट बेकिंगसेल, जियोवानी रिबिसी, सालेब लॉन्ड्री जोन्स, बेन फॉस्कर
स्टारः ढाई, 2.5/5

कभी स्मग्लिंग की दुनिया का जादूगर कहलाने वाला क्रिस (मार्क वॉलबर्ग) अब घरों में सिक्योरिटी अलार्म और कैमरा लगाने का ईमानदारी भरा काम करता है पर उसकी वाइफ केट (केट बेकिंगसेल) के भाई एंडी (सालेब लॉन्ड्री जोन्स) ने खुद को मुसीबत में डाल लिया है। उसे एक खतरनाक गुंडे टिम (जियोवानी रिबिसी) के ड्रग्स के सात लाख डॉलर दो हफ्ते में चुकाने है। हालात को देखते हुए क्रिस पनामा से एक करोड़ डॉलर के नकली बिल स्मग्ल करने का फैसला करता है। अपने बेस्ट फ्रैंड सबैश्यिन (बेन फॉस्टर) को अपनी वाइफ औ दो बेटों की हिफाजत करने के कहकर वह निकलता है। उसका रास्ता बड़ा मुश्किल है, लेकिन हारने का विकल्प उसके पास है नहीं।

आइसलैंड मूल के निर्देशक बाल्टसर कॉर्मेकर की 'कॉन्ट्राबैंड' को मैं बुरी फिल्म नहीं मानूंगा। ये चौंकाती बहुत कम जगहों पर है, पर ले-देकर जोड़े रखती है। एक हद तक थ्रिल पूरी फिल्म में बनी रहती है। तकनीकी तौर पर फिल्म में कहीं कोई खामी नहीं है, बस हम कुछ अनोखा नहीं पाते हैं। कहानी के लिहाज से भी हम मिलती-जुलती ढेरों फिल्में देख चुके हैं, इसलिए फिल्म खास नहीं हो पाती। हां, दो घंटे से कुछ कम का ये वक्त बीत जाता है और आप ऊबते नहीं हैं। जैसा कि मार्क वॉलबर्ग की मौजूदगी वाली फिल्मों में होता है, उनका एक अपना लहजा और सीधी-सपट एक्टिंग होती है। बस सारा ध्यान फिल्म और दर्शकों के साथ-साथ चलने पर होता है। उनका काम हमेशा डीसेंट होता है।

बेन फॉस्टर गहरे हैं। उनकी बोलती आंखें और पत्थर सा जड़ चेहरा अदाकारी में सबसे ज्यादा यूज होते हैं। जियोवानी रिब्सी को आप 'फ्लाइट ऑफ फीनीक्स' के सहमते लेकिन घमंडी और जिद्दी इलियट के तौर पर देख लें या और ' रम डायरी' के रमबाज फक्कड़ राइटर के रूप में, सब में सनकी होने की बात कॉमन है। इस फिल्म में भी वो सनकी, टैटू गुदाए, ड्रग क्रिमिनल बने हैं। 'कॉन्ट्राबैंड' देखी जा सकती है, अगर रेग्युलर हॉलीवुड मसाला देखना चाहें तो। चूंकि गति ठीक-ठाक है इसलिए देखते वक्त तसल्ली बनी रहती है।*** *** *** *** ***
गजेंद्र सिंह भाटी

Wednesday, November 9, 2011

प्युर्ते रिको की रम से लिखा नॉवेल

फिल्मः रम डायरी (अंग्रेजी)
निर्देशकः ब्रूस रॉबिनसन
कास्टः जॉनी डेप, एरॉन एकार्ट, माइकल रिस्पोली, जियोवानी रिबिसी, एंबर हर्ड
स्टारः ढाई स्टार, 2.5

ऐसी जो डायरी वाली फिल्में होती हैं, उनकी कोई मनचाही कहानी और अंत नहीं होता। ये दर्शक के भीतर छिपे नॉवेल पढऩे के इंट्रेस्ट और कुछ लिखने के लिए प्रेरणा ढूंढने की कोशिशों के कारण बहुत अच्छी लगती हैं। चाहे वो डायरेक्टर वॉल्टर सालेस की कम्युनिस्ट लीडर चे गुवेरा पर बनाई फिल्म 'मोटरसाइकल डायरीज' हो या 1961 में लिखे हंटर थॉम्पसन के नॉवेल पर बनी ये फिल्म 'द रम डायरी'। डायरेक्टर ब्रूस रॉबिनसन 19 साल बाद डायरेक्शन में लौटे हैं और शायद यही वजह है कि फिल्म में गहराई है, प्युर्ते रिको का खुरदरापन, धूल और नमी है पर कहीं-कहीं भटकाव है। तब के वक्त, जर्नलिज्म के हालात, निक्सन और अमेरिकी पूंजीवाद के रेफरेंस साफ दिखते हैं। पत्रकारिता में एड रेवेन्यू के लिए समस्याएं नहीं पॉजिटिव स्टोरी लाने की बात करता एडिटर-इन-चीफ है, जो लोगों को राशिफल बताकर राजी है। रियल एस्टेट माफिया प्युर्ते रिको के सुंदर तटों और टापुओं पर होटलें बनाने के प्लैन बना रहे हैं, उनके पास सारे साधन है और जब तक पॉल कैंप की कलम जागती है तब तक अखबार बंद हो जाता है। जॉनी डेप और जियोवानी रिब्सी को एक फ्रेम में देखना सुखद रहा। दोनों असाधारण एक्टर हैं। अफरा तफरी के सीन में ' नाइंथ गेट' के खोजी कॉर्सो की तरह लगते हैं। बाकी फिल्म में बॉब के मुर्गे की लड़ाई है, रम के जाम है, सिगरेट पर सिगरेट है और धूल मिला पसीना है। ढाई स्टार फिल्म की विस्तृत पहुंच नहीं हो पाने की वजह से है, फिल्म में किसी कमी के कारण नहीं।


रम डायरी में क्या
पॉल कैंप (जॉनी डेप) न्यू यॉर्क टाइम्स का जर्नलिस्ट है। 1960 के करीब आइजनहावर प्रशासन के वक्त की बात है। न्यू यॉर्क और अमेरिका से ऊबकर वह प्युर्ते रिको का रूख करता है। वहां एक छोटे अखबार 'द सेन जुआन स्टार' में काम करने के लिए। यहां की खुरदरी जमीन और सच्चाइयों से उसका वास्ता होता है। उसकी पत्रकारी कलम बोलना चाहती है, पर बोल नहीं पाती। बिजनेसमैन सैंडरसन (एरॉन एकार्ट) उसे अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में फायदा पहुंचाने के लिए छद्म लेख लिखने को कहता है। प्युर्ते रिको में रम की आदत पालने के अलावा उसका आकर्षण सैंडरसन की मंगेतर शेनॉल्ट (एंबर हर्ड) की तरफ होता है। वह नॉवेल लिखना चाहता है। उसके अनुभवों में अखबार का फोटोग्रफर बॉब साला (माइकल रिस्पॉली) साथी है। मोबर्ग (जियोवानी रिब्सी) भी यहां पूर्व रिलीजियस कॉरसपोंडेंट था, पर रम और जर्नलिज्म की रिएलिटी ने डुबो दिया। कुल मिलाकर यहां के अनुभव पॉल के नॉवेल और उसके भविष्य के जर्नलिस्टिक सिद्धांतों का आधार बनते हैं।

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गजेंद्र सिंह भाटी