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Sunday, February 26, 2012

बेसबॉल और ब्रैड पिट का कुछ विरला इस्तेमाल करती ये तकड़ी फिल्म

फिल्मः मनीबॉल
निर्देशकः बैनेट मिलर
कास्टः ब्रैड पिट, फिलिप सेमूर हॉफमेन, जोना हिल, कैरिस डॉर्सी
सिनेमैटोग्रफीः वॉली पीफिस्टर
एडिटिंगः क्रिस्टोफर टेलेफसन
म्यूजिकः माइकल डाना
स्टारः साढ़े तीन, 3.5/5'मनीबॉल में परंपरागत स्पोट्र्स मूवी वाली बात नहीं है। 'चक दे इंडिया’ का शाहरुख सा कोच, उसके मेहनत करवाने के अलग तरीके, फैन्स, परेशानियां, मैच, हार और फिर आखि में जीत... ये सब अमेरिकी बेसबॉल मूवीज में भी होता आया है। मगर इस फिल्म में बात मैदान के भीतर की कम और एक जनरल मैनेजर बिली की प्रशासनिक कुशलताओं और पैशन की ज्यादा है। वह फोन पर दूसरे स्पोट्र्स एजेंटों से डील करता है, अपने खिलाडिय़ों से कम मिलता है, कोच को निर्देश देता है, प्लेयर्स का सौदा करता है, गुस्से में कुर्सियां इधर-उधर फेंकता है और फ्लैशबैक में अपने बेसबॉल नहीं जीत पाने के दिनों को याद करता है। फिल्म दिल से जरा सा ज्यादा दिमाग के लिए है। मुझे बहुत अच्छी लगी। खासतौर पर बिली बने ब्रैड पिट का एकाकीपन और गहनता। उनके किरदार के प्लेयर्स मैदान प उतना नहीं जलते जितना वह भीतर-भीतर जलता है। अपनी बेटी केजी (कैरिस डॉर्सी) से बात करते हुए वह बिल्कुल अलग हो जाता है। फिल्म का क्लाइमैक्स बहुत अलग और नया है। मोटे ऑफर को अस्वीकार कर अपने लक्ष्य को फिर से पूरा करने में उसका जुटना ही 'मनीबॉल’ को स्वीकार करने लायक बनाता है 2003 में आई माइकल लुइस की किताब 'मनीबॉल’ पर आधारित इस स्क्रीनप्ले के पीछे हैं 'सोशल नेटवर्क’ लिखने वाले एरॉन सॉर्किन और स्टीवन जिलियन। फिल्म की रीढ़ ये स्क्रीनप्ले, बैने मिलर का यंग निर्देशन और ब्रैड पिट-फिलिप सेमूर हॉफमैन जैसों की अक्षुण्ण एक्टिंग है। फिल्म जरूर देखें।

टीम बनाने का सूत्र
ओकलैंड एथलैटिक्स बेसबॉल टीम का जनरल मैनेजर है बिली बीन (ब्रैड पिट)। 2001 में उसकी टीम न्यू यॉर्क यैंकीज से हार गई है। अब जब उसके तीन स्टार खिलाड़ी टीम से बाहर जाने हैं, मैनेजमेंट के पास अच्छे प्लेयर्स खरीदने का पैसा नहीं है। अच्छी टीम खड़ी करने की कोशिशों में वह येल यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स पढ़े पीटर ब्रैंड (जोना हिल) से मिलता है और उसे अपना असिस्टेंट बना लेता है। दोनों मिलकर ऐसे खिलाडिय़ों को ढूंढते हैं, जिनके टेलंट को बड़े क्लबों ने नहीं पहचाना है। बाकी मैनेजमेंट के सदस्य और कोच आर्ट हॉवी (फिलिफ सेमूर हॉफमेन) उनके फैसलों से सहमत नहीं हैं। मगर बिली को जीतना है और खुद को साबित करके दिखाना है।*** *** *** *** ***
गजेंद्र सिंह भाटी