शाहरुख अभिनीत पठान ध्रुवीकृत करने वाली फ़िल्म रही है. घोर प्रशंसा भी मिली, घोर आलोचना भी हुई. BBC Urdu ने टटोलने की कोशिश की कि फिल्म के खिलाफ चला कैंपेन क्यों कामयाब नहीं हुआ और ये इतनी बड़ी हिट क्यों बन गई.
मेरी समझ से -
1. पहली वजह तो ये रही कि पठान फिल्म अच्छी थी. कंपैरेटिवली. अब्बास टायरवाला के डायलॉग्स और श्रीधर राघवन के स्क्रीनप्ले में कंपैरेटिवली ऐसी ताजगी थी जो यशराज की पिछली फिल्मों से गायब रही है. फिल्म में प्लॉट प्रडिक्टेबल होते हुए भी प्रडिक्टेबल नहीं था.
2. दूसरी वजह, सलमान का फिल्म में आना. करण अर्जुन के बाद दोनों साथ एक्शन करते दिखे. दोनों का चलती ट्रेन पर एक्शन सीन बहुत अच्छा बन पड़ा. उनके आपसी ह्यूमर ने भी वर्क किया. मैं यहां तक कहूंगा कि अगर सलमान इस फिल्म में न होते तो ये इतनी कामयाब न होती.
3. तीसरी वजह, फिल्म के खिलाफ जो विवाद खड़ा हुआ, वो फिल्म के फेवर में गया. विवादों का इनहेरेंट मिजाज यही है. वे सामने वाले को हिट करा जाते हैं. बदनाम हुए तो क्या नाम न होगा, वही वाली बात. ये पद्मावत के वक्त भी हुआ था जब घूमर गाने में दीपिका का पेट और कमर कंप्यूटर वर्क से ढकना पड़ा था. संजय भंसाली से हिंसा हुई थी. सड़कों पर हिंसा हुई थी. लेकिन फिल्म इसीलिए हिट रही. पठान में भी ऐसा हुआ. दीपिका की बिकिनी का कलर बदला गया. और कॉन्ट्रोवर्सी ने इतनी पब्लिसिटी दे दी कि, पठान को देखने के लिए सैलाब सा बन गया.
4. चौथी वजह, शाहरुख का अपना बड़ा फैनबेस है. वो सक्रिय था. उसने महीनों पहले से अच्छी पब्लिसिटी सोशल मीडिया पर करनी चालू कर दी थी. वे हर जगह जा जा कर ट्रोलर्स को जवाब दे रहे थे.
5. पांचवी बात, फिल्म के रिव्यूज़ लार्जली अच्छे रहे. वर्ड ऑफ माउथ तो था ही. लेकिन तकरीबन सारे प्रॉमिनेंट रिव्यू अच्छे थे. यानी फ़िल्म 'क्रिटिक्स सर्टिफाइड' हो गई. शाहरुख की पिछली फिल्मों को क्रिटिकली बहुत पसंद नहीं किया गया. चाहे ज़ीरो हो, हैरी मेट सेजल हो या रईस हो. लेकिन यहां रिव्यूअर्स ने फुल मार्क्स दिए.
6. आर्यन केस के वक्त शाहरुख से लोगों की सिंपेथी बनी. तब सबको लगा कि शाहरुख के साथ गलत हो रहा है. पॉलिटिक्स हो रही है. फिर आर्यन पूरी तरह बरी हो गए तो कन्फर्म हो गया कि शाहरुख और उनके परिवार को यूं ही ये सब झेलना पड़ा. यहां से उन्हें और उनके प्रोजेक्ट को लेकर स्ट्रॉन्ग गुडविल बन गई थी. जो ब्रह्मास्त्र के ओपनिंग सीन में लोगों की खुशी से भी दिखी. जिन्होंने पूरी फिल्म में शाहरुख के कैमियो को सबसे यादगार तक कहा.
अंतिम बात - शाहरुख की ऑडियंस पढ़े लिखे तबके वाली है. जिनकी जेब में पर्चेजिंग पावर है. वो नहीं चाहती कि बचकाने मसलों पर कॉन्ट्रोवर्सी क्रिएट करके लोगों का टाइम वेस्ट किया जाए. वे सड़कों पर तो नहीं उतर सकते लेकिन टिकट खरीद सकते हैं. उन्होंने वही करके अपना मैंडेट दिखाया.