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Thursday, February 16, 2023

Farzi Series Review: 'फ़र्ज़ी' पर कुछ शब्द

Vijay Setupathi in Prime Video web series FARZI.

एक रचनात्मक ओपनिंग क्रेडिट के साथ 'फर्ज़ी' शुरू होती है. पांच सौ के नोट के अंदर के सारे तत्व तैरते हैं. एक के भीतर से दूसरा प्रकट होता है. प्लेक्सस पोस्ट ने इसे रचा. कुछ ऐसा ही टाइटल क्रेडिट 'थूनिवु' का भी रहा जो 'फर्ज़ी' के ठीक एक दिन बाद नेटफ्लिक्स पर आई. डायरेक्टर एच. विनोद की 'ल कासा द पापेल' नुमा एक्शन हाइस्ट ड्रामा. शाहिद का किरदार सनी स्मॉल टाइम पेंटर है. लेकिन कंप्यूटर सरीखी सूक्ष्म बारीकी वाला चमत्कारी आर्टिस्ट है. 'तुम्बाड' फेम डीओपी पंकज कुमार का कैमरा इस किरदार को इंट्रोड्यूस करता है. सनी केनवस पर कुछ उतार रहा है, कैमरा पीछे से दाहिनी तरफ मूव करते हुए उसके सामने की ओर जाता है, सनी की गर्दन पर बने उड़ते पंछी की मूविंग इमेजेज़ पर सूरज की किरणों को ढांपते हुए. उस पंछी के चित्रों के ठीक नीचे गले पर टैटू बना होता है - Art is Truth. एक गूढ़ पंक्ति, जो जैसी दिखती है वैसी है नहीं. 

1907-08 में पाब्लो पिकासो ने जॉर्ज ब्राक के साथ मिलकर घनवाद (cubism) की प्रभावशाली चित्र शैली को जन्म दिया था. उसमें एक ही चित्र में विषयों या आकृतियों को अलग अलग दृष्टिकोण के साथ चित्रित किया जाता था, जिससे चित्र विभक्त और अमूर्त दिखलाई पड़ता था. सनी के टैटू के उलट पिकासो ने कहा था - “हम सब जानते हैं कि Art सत्य नहीं है. Art एक ऐसा झूठ है जो हमें सत्य की तरफ ले जाता है. कम-स-कम वो सत्य जो हमारे सामने रखा गया है." सनी जो कलाकृतियां बनाता है, ख़ासकर मशहूर पेंटर्स की रेप्लिका, वो सीधी सहज रेखाएं हैं जिन्हें वो कॉपी करता है. सनी ने कभी अपना कुछ मौलिक बनाया हो, जिसमें दुनिया के सत्य को पेंटब्रश की आडंबरी रेखाओं के माध्यम से उसने खोजना चाहा हो, ऐसा सीरीज में कहीं दृष्टिगोचर नहीं होता है.

तो यहां हम Art और truth, और उसकी समानांतर गहरी विवेचना से तुरंत दूर हट जाएं तो ही अच्छा हो. तो ही इस कहानी में आगे बढ़ा जा सकेगा. क्योंकि आर्ट यहां सिर्फ एक सजावटी उपकरण है, कहानी में ये स्थापित करने के लिए कि सनी अपने हाथ से पांच सौ के नोट की हूबहू नकल सफेद पन्ने पर कैसे पेंट कर सकता है. उसके और उसके नाना के पेंटर होने का मेटाफर कुछ फैंसी भी तो लगता है. इतनी ही इसकी उपयोगिता है. सनी और 'द फैमिली मैन' वाले सर्जक द्वय राज निदिमोरू और कृष्णा डीके की इस कहानी की दिशा कुछ और है. 

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Full Article link:  https://www.thelallantop.com/entertainment/post/web-series-review-farzi-starring-shahid-kapoor-vijay-setupathi-kay-kay-menon-directed-by-raj-and-dk 

Tuesday, February 14, 2023

Farzi Web Series Review: द फैमिली मैन 3 से पहले यूनिवर्स में नए किरदारों की एंट्री

अतिरिक्त //

'फ़र्ज़ी' में एक सीन है. ओपनिंग क्रेडिट्स के बाद. सनी (शाहिद कपूर) पेटिंग बना रहा है किसी की. स्मॉल टाइम आर्टिस्ट है. एक कस्टमर खड़ा है. पूछता है - 

कस्टमर - ये वैन गॉग तेरी है क्या. कोई फर्क ही नहीं लग रहा है! Its too good. कितना लोगे? 

सनी - छह हज़ार 

कस्टमर - इतने में तो ओरिजिनल मिल जाएगी. सीधा भाव लगा न. मेरे हिसाब से इसके लिए हज़ार भी बहुत है.

सनी - असली कॉपी बनाने में भी कला लगती है सर. इग्जैक्ट रेप्लिका है.

कस्टमर - बकवास छोड़. है तो नकली ही ना. इसे मैं अपने घर पे लगाऊंगा, तो असली लगेगी? 

सनी - अगर आपकी औकात है सौ करोड़ की पेंटिंग घर में लगाने की तो असली लगेगी सर. (यहां आते आते लगने लगा कि कहीं ये कस्टमर इतनी बेइज्जती सुनकर सनी को थप्पड़ न मार दे)

भावार्थ -  ये बात सत्य है कि घर महल हो और वहां कोई नकली पेटिंग भी लगी हो तो वैल्यू 100 करोड़ ही मानी जाएगी. जैसे महलों सरीखे घरों में रहने वाले उद्योगपति कोई गलत काम नहीं करते. वे फर्जी भी होते हैं तो खरे ही सर्टिफाइड प्रतीत करवाए जाते हैं. उनके कम्युनिकेशंस डिपार्टमेंट द्वारा. कहीं न कहीं इस सीरीज के पहले एपिसोड के इस पहले सीन से ही सनी की मनोवृत्ति साफ हो जाती है. कि घर या बंगला औकात वाला हो तो आप फर्जी होकर भी फर्जी न होगे. इसीलिए आगे जाकर वो मिलावट का रास्ता लेता है, जाली काम का रास्ता लेता है. जिससे सोने का महल खरीदेगा और ऐसे महल में तो जाली से जाली चीज भी खरी ही लगेगी.  

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