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Sunday, September 18, 2011

कैप्टन अमेरिका दौड़ेगा नहीं पर चलेगा, जरूर चलेगा

फिल्म: कैप्टन अमेरिका - द फस्र्ट अवेंजर (अंग्रेजी)
निर्देशक: जो जॉनस्टन
कास्ट: क्रिस इवान्स, हैली एटवेल, ह्यूगो वीविंग, टॉमी ली जोन्स, सबैश्चियन स्टैन, डॉमिनिक कूपर, नील मेकडॉनफ, डेरेक ल्यूक, स्टैनली टुकी
स्टार: ढाई, 2.5
बहुत सारी खूबियों के बावजूद मैं 'कैप्टन अमेरिका: द फस्र्ट अवेंजर' को औसत फिल्म मानूंगा। दुख की बात है। जब स्टीव रॉजर्स ट्रीटमेंट के बाद सुपर सोल्जर बन जाता है और उसी सीन में नाजी एजेंट के पीछे न्यू यॉर्क की सड़कों पर नंगे पांव दौड़ता है, तो बस यहीं तक फिल्म बहुत ही इंट्रेस्टिंग लगती है। उसके बाद स्क्रिप्ट से इमोशन गायब हो जाते हैं, विलेन का कैरेक्टर स्पष्ट नहीं हो पाता, कहानी में घुमाव नहीं आते, न दर्शकों और लोगों में डर का माहौल बनता है और न सुपरहीरो के आने पर तालियां बजती हैं। अब यहां कैप्टन अमेरिका के गैर-मशीनी स्टंट आगे भी जारी रहते तो फिल्म अद्भुत हो सकती थी, पर ऐसा होता नहीं। आप 2003 में आई 'रनडाउन/वेलकम टू द जंगल' में ड्वेन जॉनसन (द रॉक) को देखिए। जंगल में उनके इंसानी स्टंट कमाल के हैं। वो एक सुपर हीरो फील देते हैं, यहां कैप्टन नहीं दे पाते। फिर भी एक अलग सुपरहीरो टेस्ट के लिए ये फिल्म जरूर एंजॉय कर सकते हैं।

मिलें कैप्टन अमेरिका से
आर्कटिक की बर्फ में 2011 में वैज्ञानिकों को अमेरिकी झंडे में लिपटी गोल ढाल जैसी चीज मिलती है। बता दूं कि ये सुपरहीरो 'कैप्टन अमेरिका' की ढाल है। अब कहानी 1942 में पहुंचती है। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान नाजी अफसर जोहान (ह्यूगो वीविंग) नॉरवे से कोई रहस्यमयी शक्तियों वाला क्रिस्टल चुराता है और अपनी विशेष सेना और ताकत बनाने लगता है। वहीं न्यू यॉर्क में कम कद का दुबला-पतला कमजोर स्टीव रॉजर्स (क्रिस इवॉन्स) सेना की भर्ती में लिया नहीं जाता। पर उसके भीतर छिपे अच्छे इंसान को डॉ. अब्राहम (स्टैनली टुकी) पहचानते हैं और उसे 'सुपर सोल्जर' बना देते हैं। बहुत सी सतहों से होते हुए स्टीव का मुकाबला जोहान से होता है।

कहां क्या लगता है...
# 'द क्यूरियस केस ऑफ बेंजामिन बटन' में बूढ़े पैदा हुए ब्रेड पिट को दिखाने के लिए जो तकनीक बरती गई, वही यहां क्रिस इवॉन्स पर अपनाई जाती है। एक सेकंड भी ऐसा नहीं लगता कि ये दुबला-पतला स्टीव असल में छह फुट से ज्यादा का छरहरा हीरो हो जाएगा।
# समझ नहीं आता कि हर बार एक औसत अमेरिकी को सुपर बनने के लिए कोई डायमंड, क्रिस्टल या कुछ और ही क्यों चाहिए होता है? क्या इंसानी ताकत काफी नहीं। हर बार इस देश के दुश्मन रूसी, जापानी, जर्मन, मुस्लिम और चीनी ही क्यों होते हैं?
# स्टीव का कांधे पर अमेरिकी फ्लैग वाली ढाल लटकाए नाजी आर्मी कैंप में इधर-ऊधर भागना अखरता है।
# सुपरहीरो बनने के बाद स्टीव को रंगीन ड्रेस पहनाकर देश की जनता के सामने प्रोपगेंडा करवाया जा रहा है, वह उदास है। तभी एक बुद्धिभरा सांकेतिक सीन आता है। वह बारिश में बैठा एक चित्र बना रहा है, जिसमें उसकी जगह एक बंदर सुपरहीरो की ड्रेस में छाता लेकर नाच रहा है।

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गजेंद्र सिंह भाटी