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Sunday, February 19, 2012

पॉटर के साये को पीछे छोड़ परिपक्व होकर आगे बढ़ते डेनियल

फिल्मः वूमन इन ब्लैक
निर्देशकः जेम्स वॉटकिन्स
कास्टः डेनियल रैडक्लिफ, सियरेन हिंड्स, मिशा हैंडली, लिज वाइट, सोफी स्टकी, जैसिका रेन
कॉस्ट्यूमः कीथ मैडन
स्टारः तीन, 3.0रामसे ब्रदर्स से होते हुए ओरेन पैली के आने तक हॉरर ने हमेशा दिल का दौरा देने की हद तक डराया है। छोटे बच्चे थे तो 'भूतिया हवेली देख सहम जाते, बड़े हुए तो 'पैरानॉर्मल एक्टिविटी ने सीना फाड़ दिया। इस लिहाज से 'द वूमन इन ब्लैक’ का हॉरर ज्यादा से ज्यादा लोग देख सकते हैं। बैचेनी भी लगातार बनी रहेगी और जब काले कपड़ों वाली वह औरत सामने आएगी तो डर के मारे हार्ट अटैक भी नहीं आएगा। निर्देशक जेम्स वॉटकिन्स की ये फिल्म सिर्फ भयंकर डर चाहने वाले युवाओं के लिए नहीं है, इसे पूरा परिवार देख सकता है। हां, ये ध्यान रखें कि आप हॉरर फिल्म देखने जा रहे हैं और उसमें तरह-तरह के मोड़, दुख, चिंताएं और क्लाइमैक्स भी आते हैं। उनके लिए तैयार रहें। एक सिंपल स्वस्थ हॉरर फिल्म।

हिंदी फिल्में देखने वालों के लिए इस फिल्म को पहचानने का सबसे पहला और आखिरी बिंदु हैं हैरी पॉटर फिल्मों में हैरी बनने वाले ब्रिटिश एक्टर डेनियल रैडक्लिफ। जिन लोगों को लगा होगा कि डेनियल कभी पॉटर की इमेज से बाहर नहीं निकल पाएंगे, उन्हें ये देखनी चाहिए। इस फिल्म में वह एक चार साल के प्यारे से ब्रिटिश एक्सेंट वाले बेटे जोसेफ (मिशा हैंडली) के पिता आर्थर क्रिप्स बने हैं। औ पिता के तौर पर इनकी पकड़ यहां से आखिर तक कायम रहती है। उनको एक पिता महसूस करवाने में चाइल्ड एक्टर मिशा की स्वीट जबान का बड़ा हाथ है। वह जब उन्हें 'पपा’ बोलते हैं तो थियेटर में मिसरी की डली घुल जाती है। बेटे को जन्म देते वक्त मर गई बीवी स्टेला (सोफी स्टकी) अभी भी आर्थर को अपने आस-पास महसूस होती है। वह उसके बुरे सपनों में आती है। पेशे से वकील ऑर्थर को पैसे की तंगी है और अगर उसने काम में सुधार नहीं किया तो नौकरी से भी निकाल दिया जाएगा। इन सब हालातों से डेनियल टूटे हुए भी लगते हैं, मगर काले कपड़ों वाली औरत के मामले को आखिर तक जानने की कोशिश में हिमत बटोरते दिखते हैं। ये सब भाव उनके चेहरे पर स्वत: ही आते हैं। उनके संपन्न दोस्त सैम डैली बने आयरिश अभिनेता सियरेन हिंड्स डेनियल रैडक्लिफ से ज्यादा बेहतर एक्टर हैं, यही उनके लिए बड़ी परीक्षा थी। वह जब आर्थर बन सैम के घर डिनर कर रहे होते हैं और बाद में कई बार पेग बांटते हैं तो बराबरी के लगते हैं। असल में इन दोनों अभिनेताओं की उम्र में जो दोगुना फर्क है, वह यहां मिट जाता है।

हालांकि सूजन हिल के नॉवेल 'द वूमन इन ब्लैक’ की कहानी पढऩे वालों को पता है, पर फिल्म देखने से पहले उसे न जानें तो ही अच्छा। हल्का सा अंदाजा हो इसलिए जानिए जरा सी कहानी। ये 1901 के बाद के ब्रिटेन की बात है। आर्थर एक वकील है और अपने बच्चे जोसेफ और उसकी दाई मां (जैसिका रेन) के साथ रहता है। कंपनी उसे इंग्लैंड के उत्तर पूर्व में एक द्वीप सी जगह पर बनी एलिस ड्रैब्लो की हवेली का केस दिया जाता है। इस काम से वह दूर बने इस गांव में जाता है। डरे-सहमे इस गांव में हर घर में बच्चों ने आत्महत्याएं कर ली है। लोग कहते हैं कि ये उस काले कपड़े वाली औरत की वजह से है जो हवेली में नजर आती है। आर्थर वहां जाता है और पता लगाने की कोशिश करता है। वहां एलिस अपने पति, बेटे नथैनियल और बहन जैनेट (लिज वाइट) के साथ रहती थी। पर उन सभी के मारे जाने के बाद वह हवेली खंडहर है। कोई वहां जाता नहीं। आर्थर को यहां नथैनियल की मौत और जैनेट (काले कपड़ों वाली औरत) के साये के बारे में पता चलता है। कहानी का अंत उमीद के मुताबिक नहीं होगा तो उसके लिए तैयार रहें।

इस फिल्म में क्वीन विक्टोरिया के मरने के बाद एडवर्ड काल के फैशन, कपड़े और ग्रामीण जीवन के अंधविश्वास की झलक है। कॉस्ट्यूम डिजाइनर कीथ मैडन ने दुख और डर में डूबे लोगों के कपड़ों में पक्का रंग सोच-समझकर दिया है। ब्रिटिश निर्देशक जेस वॉटकिन्स की ये फिल्म अच्छी है, प उनकी पहली हॉरर फिल्म 'ईडन लेक’ ज्यादा प्रभावी है। अपने जॉनर की फिल्मों से 'द वूमन इन ब्लैक’ कुछ कमजोर जरूर हो सकती है पर इसकी खासियत ये है कि ये सिंपल है। इसमें जेस का सारा ध्यान चेहरे वाले भावों और चीजों के इस्तेमाल से फिल्म को आगे बढ़ाने पर होता है।*** *** *** *** ***
गजेंद्र सिंह भाटी

Saturday, July 16, 2011

हैरी की जादुई महाभारत खत्म

फिल्म: हैरी पॉटर एंड द डैथली हैलोज पार्ट-टू
डायरेक्टर: डैविड येट्स
कास्ट: डेनियल रेडक्लिफ, रुपर्ट ग्राइंट, एम्मा वॉटसन, राल्फ फिएन्स, मैथ्यू लुईस, माइकल गैम्बॉन, हैलेना बॉनहैम कार्टर, मैगी स्मिथ
स्टार: तीन 3.0

जाहिर है कि नन्हे हैरी की इस आखिरी फिल्म को अश्रु भरे नैनों से विदाई मिलेगी। हां, इसने कमर्शियली बड़ी सफलता पाई, प्रॉड्यूसर्स को सोने में तौल दिया पर इस आठवीं फिल्म में अच्छाई के विषय में कुछ खास होता है। जब लॉर्ड वॉलडिमॉर्ट अपने मैनईटर्स के साथ आता है और उसके साथ हैरी का शरीर होता है तो सब रो रहे होते हैं, डर जाते हैं। उन्हें लगता है कि बुराई जीत गई। पर सब सहमों के बीच से आगे आता है सदा डरपोक दिखने वाला नेवाइल लॉन्गबॉटम (मैथ्यू लुईस)। ग्रिफिनडोर की तलवार उठाए वह वॉलडिमॉर्ट के डर को दुत्कारते हुए कुछ ऐसा ही कहता है, 'मैं किस बात से डरूं। मरने से? जो एक न एक दिन हर किसी को है।' फिल्म यहीं पर आकर सार्थक हो जाती है। डैथली हैलोज-2 में ऐसी ही अच्छी बातें हैं। पूरी सीरिज में लॉन्गबॉटम की तरह रॉन भी कुछ बुद्धू सा लगता है, पर यहां आकर उसकी होशियारी की कायल हरमाइनी भी हो जाती है। क्लाइमैक्स उन लोगों के लिए बहुत खास है जिन्होंने पहली फिल्म और बुक से हैरी की चिंता की है और उसे अपनी जिंदगी का हिस्सा माना है।

आखिरी अध्याय!
डैथली हैलोज-एक में हैरी (डेनियल रेडक्लिफ), रॉन (रुपर्ट ग्राइंट) और हरमाइनी (एम्मा वॉटसन) मारे मारे फिर रहे होते हैं। हॉगवड्र्स स्कूल के कर्ता-धर्ता डम्बलडोर (माइकल गैम्बॉन) की हत्या के बाद लॉर्ड वॉलडिमॉर्ट (राल्फ फिएन्स) का सामना इन्हीं को करना है। तीनों के बीच लव टाइएंगल भी नजर आता है। फिर फिल्म के आखिर तक प्यारा सा डॉबी अपनी जान देकर हैरी की जान बचाता है। भाग दो में डॉबी को दफनाने के बाद हैरी ग्राइपहुक गोबलिन से ग्रिंगॉट्स में जाने का रास्ता पूछता है। हैरी को लगता है कि हॉरक्रक्स (वॉलडिमॉर्ट की जान हॉरक्रक्सेज में छिपी है) यहीं छिपाया हुआ है। इस तरह एक-एक करके उसे कुल तीन हॉरक्रक्स नष्ट करने हैं और वॉडडिमॉर्ट का सामना करना है। हॉगवट्र्स स्कूल तहस-नहस हो चुका है, हैरी के बहुत सारे साथी अपने प्राण गवां चुके हैं। इस दौरान हैरी को अपने अस्तित्व और पहचान के लेकर भी बहुत सी नई बातें पता चलती हैं। फिल्म का अच्छा अंत उस चक्र को पूरा करता है, जहां से कहानी शुरू हुई थी।

जब बुराई बहुत बुरी हो
प्रफेसर मैकगॉन्गल (मैगी स्मिथ) का ये सीन इम्प्रेसिव है, जब हैरी को हॉरक्रक्स ढूंढने के लिए वक्त चाहिए तो वह हॉगवड्र्स की सुरक्षा के लिए 'पारतोतम लोकोमोतोह' बोलती हैं और ऊपर से कूद जमीन पर आ खड़े होते हैं पत्थर के सैनिक। ये बहुत विशेष मंत्र है जो गहरे सकंट के वक्त यूज किया जाता है। इस टेंस मौके में भी (बदमाशी भरे हंसोड़ अंदाज में) वह कहती हैं, 'मैं इस शब्द का हमेशा से इस्तेमाल करना चाहती थी।' फिल्म में अच्छाई के पक्ष में दर्शक तभी हो पाते हैं जब उस फिल्म की बुराई बहुत बुरी हो। यहां भी बुराई का भय वॉलडिमॉर्ट के उच्चारण में बने ठहराव और नजाकत की वजह से ही हो पाता है। जब सेवक माई लॉर्ड बोलते हैं और उसके गुस्से को भांपकर सिर झुकाकर दो कदम पीछे हो जाते हैं तो असर ऑडियंस पर दिखता है। उनका मंत्र 'अवाडा केडाव्रा' उनके सबसे स्पेशल डायलॉग्स में से एक रहेगा।

संदर्भ भगवद्गीता के
वॉलडिमॉर्ट से हैरी की पहली भिडं़त के बाद वह अचेत हो जाता है और अपने मानस में डंबलडोर से मिलता है। पॉटर फिल्मों के तिलिस्म, रोशनी और जादू के बीच ये बहुत सुकून भरा सीन है। इसे बड़ी आसानी से गीता के ज्ञान और महाभारत के अर्जुन-कृष्ण संवाद से जोड़कर देख सकते हैं। सीन के मायने भी महाभारत के संदर्भ से बहुत मिलते जुलते हैं। दूसरा लेखिका जे.के.रॉलिंग का इंडिया के पौराणिक ग्रंथों और कहानियों से प्रेरित होना भी इसका एक कारण है। हैरी को यहां एक बूढ़े भ्रूण की तरह खून से लथपथ जीव दिखाई देता है। ये संदर्भ जीवन और मृत्यु के दर्शन का है। वह निर्णायक लड़ाई से पहले अपने मन की उथल-पुथल के सवाल डंबलडोर से पूछता है। ये बड़े शांत तरीके से होता है। शुरू में डंबलडोर पूछता है, 'हैरी तुम्हें क्या लगता है ये कौन सी जगह है' और हैरी बोलता है (सब हंस पड़ते हैं), 'मुझे तो किंग्स क्रॉस स्टेशन जैसा लग रहा है। बस उससे ज्यादा क्लीन है।' फिल्म में इसी किस्म का ह्यूमर साथ-साथ चलता रहते है, जिससे फिल्म भारी नहीं होती।

आखिर में
मुझे लगता है कि कहानी अभी खत्म नहीं हुई। ये फिल्म उस दरवाजे को खुला छोड़ आई है, जहां से बहुत सारे रोचक, मजेदार और हैरी के शुरुआती दिनों जैसे भोले सीक्वल दर्शकों के लिए अंदर आएंगे।

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गजेंद्र सिंह भाटी