जेम्स कैमरॉन पुराने प्रिय हैं. 2009 में पहली अवतार के वक्त भी उन्होंने अचरज में डाला था, इस बार फिर. ये भी हैरान करने वाली बात है कि कोई अपने जीवन के इतने अमूल्य वर्ष सिर्फ एक फ़िल्म या एक फ़िल्म सीरीज पर कैसे लगा सकता है? आखिर वो क्या चीज है जो ड्राइव करती होगी? पैसा? प्रसिद्धि? फिल्म आविष्कार? टॉप पर होने की हसरत? अमरत्व? जो भी वजह हो, वे लगा रहे हैं और भी समय. दुनिया की सिनेमा तकनीक में अवतार-2 कमाल की तब्दीलियां लाई है. सिनेमा को इसने अपनी थ्रीडी और मोशन कैप्चर तकनीक से इतना सक्षम किया है कि न जाने कितनी ही कहानियां कही जा सकती हैं, जो पहले मुमकिन न थीं. ख़ासकर यकीनी तरह से कह पाना. इसके इतर फ़िल्म अपनी लेखनी में औसत है. ये बात सिर्फ अवतार 2 पर ही लागू नहीं होती है, पूरा अमेरिकी फिल्म उद्योग ही इस चलन से ग्रस्त है. जैसे, इसकी पूरी फिल्ममेकिंग बड़ी सुव्यवस्थित और मैकेनिकल है, उसी तरह बीते काफी वक्त से इसकी तमाम फ़िल्म एक ही तरह के फ़िल्म लेखन से जूझ रही हैं. जिसे शायद जूझना मान भी नहीं रहे हैं.
फ़िलहाल ये समीक्षा.
"अवतार 2" / "अवतार द वे ऑफ वॉटर" रिव्यू - The Lallantop के लिए.