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Saturday, November 26, 2011

हनीमून की छुअन, बाकी बोरियत

फिल्मः ट्वाइलाइट सागाः ब्रेकिंग डॉन-1 (ए सर्टिफिकेट)
निर्देशनः बिल कॉन्डन
कास्टः क्रिस्टन स्टीवर्ट, रॉबर्ट पैटिसन, टेलर लॉन्टर
स्टारः ढाई स्टार, .5


ट्वाइलाइट सीरिज की सबसे कमजोर फिल्म है 'द ट्वाइलाइट सागा: ब्रेकिंग डॉन-1’। फिल्म के ट्रेलर्स और उड़ती खबरों के बाद दर्शकों के लिए कोई सस्पेंस तो वैसे भी नहीं रहता, उसके बाद जो भी बचता है वो किसी अमेरिकन टेली-सीरिज जैसा लगता है। भेडिय़ा बने जैकब हों या वैंपायर एडवर्ड, कहीं भी उनके टे्रडमार्क स्टंट देखने को नहीं मिलते हैं। वो जो तकरीबन पिछली तीनों फिल्मों में थोड़ी-ज्यादा मात्रा में थे। अगर शादी और हनीमून के पीरियड को छोड़ दें तो एडवर्ड को एक थके-हारे पति की तरह इधर-उधर कोनों में लाचार खड़ा ही दिखाया गया है। आखिर के पांच-दस मिनट में जरूर वो थोड़ा सा एक्टिव होते हैं। इस फिल्म के सेंटर में बैला है, वो कई फिजीकल बदलावों से गुजरती हैं और बाकी दोनों को-स्टार से ज्यादा फुटेज ले जाती हैं। जैकब निराश करते हैं। फिल्म में एक ही जगह उन्हें फूट-फूटकर रोना होता है और वो रो तक नहीं पाते। ट्वाइलाइट फैन्स इस फिल्म को देखकर नाखुश नहीं होंगे, पर जो बाकी दर्शक हैं उन्हें फिल्म बोर करेगी। मैं इसे एक औसत फिल्म मानूंगा। मगर इसकी सहज आगे बढ़ती कहानी और फिल्मांकन ठीक है। शादी के पहले और बाद में हनीमून के दौरान बैला-एडवर्ड के बीच की रोमैंटिक-इनोसेंट अभिव्यक्तियां अद्भुत हैं। फिल्म के बेस्ट प ये ही हैं एक-दो कॉमिक पल दे जाते हैं बैला के फादर चार्ली स्वॉन बने बिली बर्क।

बैला-एडवर्ड महागाथा भाग-4
वैंपायर एडवर्ड कलिन (रॉबर्ट पैटिसन) और इंसान बैला स्वॉन (क्रिस्टन स्टीवर्ट) पिछली तीनों फिल्मों से एक-दूसरे के प्यार में रहे हैं। अब बहुत मुश्किलों के बाद एडवर्ड-बैला की शादी की बेला आई है। इनकी शादी का कार्ड जब भेडिय़ा बॉय जैकब (टेलर लॉटनर) के पास पहुंचता है तो वह जंगलों में भाग जाता है। लेकिन फिर सेरेमनी में पहुंचता भी है। उसे बैला से प्यार है और वो नहीं चाहता कि बैला भी शादी के बाद वैंपायर बने या मर जाए। खैर, इतनी चिंताओं के बाद शादी हो जाती है और न्यूली वैड कपल हनीमून पर में सरप्राइज प्लेस पर जाते हैं। यहां से आगे वो न पढ़ें जिन्होंने फिल्म देखी नहीं है या जो सरप्राइज एलीमेंट खोना नहीं चाहते। तो दोनों में रोमैंस होता है और बैला प्रेग्नेंट हो जाती है। एडवर्ड, जैकब सब चाहते हैं कि वो पेट में पल रहे आधे वैंपायर-आधे इंसान से भ्रूण को जन्म न दे, क्योंकि ये बहुत तेजी से बढ़ रहा है और बेला का इंसानी शरीर उसे पोषण नहीं दे सकता। यहां तक लगता है कि फिल्म में बैला की जान जाना तय है।

कुछेक ऑब्जर्वेशन
# एडवर्ड बताता है कि उसने अपने पास्ट में बहुत से लोगों को मारा है। इस पर बैला कहती है, 'और वो सब मर्डरर्स थे, तुमने शायद जितनी जान ली नहीं हैं उससे ज्यादा बचाई हैं इसके जवाब में एडवर्ड कहता है, 'लेकिन वो सब इंसान थे, मैंने उनकी आंखों में देखा और उन्होंने मुझे एहसास करवाया कि मैं क्या कर रहा था और मैं क्या कर सकता था। हमारी हिंदी फिल्मों के कानून तोडऩे और इंसानों को मारने वाले हीरोज से तो ये वैंपायर हीरो एडवर्ड ही ईमानदार है जो खुले मन से अपने किए कत्ल स्वीकारता है। शायद फिल्म के ऐसे तत्वों ने ही इसे बड़ी अनोखी हिट फ्रैंचाइजी बनाया है।
# बैला-एडवर्ड की शादी के बाद टोस्ट पार्टी में सबका बारी-बारी दोनों के बारे में बोलना इंट्रेस्टिंग है। हंसाते हैं बैला के पिता, जो अपनी बारी आने पर कहते हैं, 'आई नो एडवर्ड वि बी गुड हस्बैंड। आई नो देट। कॉज, आई एम कॉप। आई नो थिंग्स। (मुझे पता है कि एडवर्ड एक अच्छा पति साबित होगा। मैं जानता हूं, क्योंकि, मैं कॉप हूं। मैं जान लेता हूं।) हल्के के वाइन के नशे में उसका सीरियस फेस के साथ रुक-रुककर डायलॉग डिलीवर करना हंसाता है।
# सुहागरात से पहले बैला का नर्वस होना, वॉशरूम में आइने के सामने खुद को देखना, बैग में से सेंशुअस कपड़े निकालते जाना और मायूस होना नर्वस होना और सोचना कि जाने मैं कैसे एडवर्ड के सामने इन कपड़ों में जा पाऊंगी। क्योंकि प्यार का फिजीकल पड़ाव आने जा रहा है। उसकी ये नर्वसनेस निर्मल, अद्भुत और कैमरे पर बेहतरी के कैप्चर हुई है।
# प्राइवेट बीच पर चांद की रोशनी में नहाए समंदर के बीच बैला का इंतजार करता एडवर्ड हो या मैरिज सेरेमनी में सामने से पिता संग आती बैला को देखकर उसका शर्माते हुए मुस्कराना, या फिर हनीमून के दौरान न होते हुए भी सेंशुअस दिखने की कोशिश करती बैला को देख उसका खिलखिला उठना और बिस्तर में औंधे मुंह लुढ़क जाना। ये सब ऐसे पल हैं जो ट्वाइलाइट सीरिज की टीम के काम को नक्काशीदार और उम्दा बनाते हैं। बहुत कम फिल्में ऐसी हुई हैं जिनमें युवा शादीशुदा जोड़ों के इन अंतरंग सिहरन और गुदगुदी वाले पलों को इतना ऑरिजिनली कैप्चर किया गया हो। अद्भुत।

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गजेंद्र सिंह भाटी