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Monday, December 26, 2011

फ्रेंच रैंबो जैसे सिमोन को देखें, बाकी सब बुरा-भला

फिल्मः एल्विन एंड चिपमंक्स: चिपरैकेड
निर्देशकः माइक मिशेल
कास्टः जेसन ली, डेविड क्रॉस, जेनी स्लेट
वॉयसओवरः जस्टिन लॉन्ग, मैथ्यू ग्रे गब्लर, एलन टुडी, जेसी मैककॉर्टनी, क्रिस्टीना एपलगेट, एना फैरिस, एमी पूलर
स्टारः ढाई, 2.5
 सात साल पहले आई 'शार्क टेल’ से होते हुए इस साल की ' एडवेंचर्स ऑफ टिनटिन: सीक्रेट्स ऑफ यूनीकॉर्नऔर 'हैपी फीट-2’ तक पहुंचे तो ऐसी बहुत कम एनीमेशन फिल्में हुई हैं जो 'एल्विन एंड चिपमंक्स: चिपरैकेड जितनी बिखरी हुई हैं। या जिनकी स्क्रिप्ट इतनी कमजोर, या डायलॉग इतने उबाऊ हैं। शुरू इस तरह से होती है मानो किसी एनिमेशन फिल्म का शेष भाग टीवी ब्रेक के बाद हम देख रहे हैं। ओपनिंग किसी फिल्म सी नहीं महसूस होती।

'वेकेशन, ऑल आई एवर वॉन्टेड, वेकेशन गाते हुए सब चिपमंक शिप पर चढ़ जाते हैं। ब्रिटनी स्पीयर्स और लेडी गागा सी तड़कीली-भड़कीली ड्रेसेज और एटिट्यूड लिए चिपेट्स शुरू में ज्यादातर वक्त बात-बात पर नाचती रहती हैं। एल्विन की झल्ला देने वाली शरारतें भी खत्म नहीं होती। उस बीच डेव बने जेसन ली बड़े बुझे-बुझे लगते हैं। उन्हीं के दोस्त इयान बने एक्टर डेविड क्रॉस बतख की ड्रेस में परेशान ही करते हैं, हंसाना तो बहुत दूर की बात है। यहां तक आते-आते ऐसा लगता है जैसे स्क्रिप्ट को गाय चबा गई थी और जितनी बच पाई, उसी से फिल्म बना दी। टापू पर चिपमंक्स को वहां पर कुछ साल से फंसी लड़की जोई (जेनी स्लेट) मिलती है। जेनी की एक्टिंग और क्लाइमैक्स में उनका रोल बहुत खराब है।

तो फिल्म में तमाम टॉर्चर देने वाली चीजें मैंने आपको सबसे पहले बता दी हैं। और ये ज्यादातर टॉर्चर देने वाली तब लगती हैं जब हम किसी मैच्योर की तरह फिल्म देखें। जबकि फिल्म देखते हुए आपका बच्चा होना बहुत जरूरी है। क्योंकि छह की छह गिलहरियां इतनी प्यारी हैं कि आप चाहकर भी बुराई नहीं कर पाते। शायद बच्चा बनकर देखने के लिहाज से ही डायरेक्टर माइक मिशेल ने फिल्म को ऐसा रखा। फिर भी कहूंगा कि इस सीरिज की तीनों फिल्मों में ये सबसे कमजोर है।

अब आते हैं उन खूबसूरत बातों पर जो दिल लुभाती हैं। जो हमको और खासतौर पर बच्चों को भाएगी। फिल्म में सिमोन ने मेरा दिल चुरा लिया। नजर की ऐनक लगाए पढ़ेसरी और समझदार साइमन (मैथ्यू ग्रे गब्लर की आवाज) की पर्सनैलिटी में किसी कीड़े के काटने से बदलाव आते हैं और वो फ्रेंच एक्सेंट में बात करने वाला महारोमैंटिक, कूल डूड और रैंबो सा परमवीर सिमोन (एलन टूडी की आवाज) बन जाता है। अहा! उसका जिनेट को फ्रेंच में मेदमोजेल (मैम) बोलना, शार्क से लडऩा, फ्लर्ट करना या फिर आशिकों के जैसे इम्प्रेस करने वाले लंबे-लंबे डायलॉग बोलना फिल्म के सबसे यादगार पल हैं। मैं बस सिमोन को देखने के लिए फिल्म दोबारा देख सकता हूं।

फिल्म में क्लाइमैक्स बहुत बोरिंग है, पर बच्चों में नैतिकता और दूसरों की मदद करने या दूसरों को माफ करने का गुण डालने वाली अच्छी बात है। जब डेव लकड़ी के पुल से नीचे लटक रहा होता है और जेनी उसे मारने वाली होती है तो डेविड क्रॉस का कैरेक्टर आकर उसे समझाता है। खजाने की लोभी उस लड़की का ह्रदय परिवर्तन करता है। ये बोरिंग है पर अच्छा है। एल्विन के जंगल में सुधरने का तरीका बच्चों को एंटरटेन भी करता है और सीख भी देता है। पहले साइमन सारी टेंशन लेता था और एल्विन शैतानियां करता, अब साइमन तो सिमोन होकर आवारा हो गया है और सारी जिम्मेदारी एल्विन को लेनी पड़ती है। वो सुधरता है। फिल्म में 13 साउंडट्रेक हैं और कुछ एडिशनल हैं, पर उन्हें फिल्म में पिरोया ऐसे गया है कि कहीं कोई भावुक-यादगार पल नहीं पैदा होते। इन्हें एडजस्ट करने के चक्कर में भी फिल्म की एनर्जी इधर-उधर भागती है।

तमाम कमजोरियों के बावजूद बच्चों के लिहाज से कहूंगा कि उन्हें ये फिल्म जरूर दिखाएं। फिल्मी ग्रामर में तो ये फिल्म फेल होती है, पर मासूमियत में पास। बड़ों, आपके लिए ये फिल्म डेढ़ स्टार वाली है पर बच्चों के लिहाज से ढाई स्टार।

एल्विन और चिपमंक्स कथा: भाग तीन
पहली फिल्म थी फ्लॉप सॉन्गराइटर डेव (जेसन ली) के तीन नाचने-गाने वाली मेल गिलहरियों यानी चिपमंक्स से मिलने और हिट होने की। दूसरी फिल्म में तीन फीमेल गिलहरियां यानी चिपेट्स भी आ गईं। अब इस तीसरी फिल्म में शरारती चिपमंक एल्विन को सुधरना होगा। कहानी शुरू होती है एल्विन, साइमन, थियोडोर, ब्रिटनी, जिनेट और एलेनॉर इन चिपमंक्स के अपने मैनेजर और पिता समान डेव के साथ समुद्री जहाज पर छुट्टियां मनाने जाने के साथ। डेव के बार-बार समझाने पर भी एल्विन (आवाज जस्टिन लॉन्ग की) की बदमाशियां कम नहीं होती है और एक दिन पतंग से खेलते-खेलते वह और उसके सभी साथी चिपमंक उड़ जाते हैं। अब वो किसी टापू पर फंस जाते हैं और डेव को मिस करते हैं। एल्विन को पछतावा होता है और वो जिम्मेदार बनने की कोशिश करता है। पर क्या वो कभी इस टापू से निकल नहीं पाएंगे, जो ज्वालामुखी फटने से नष्ट होने वाला है? और क्या डेव उन्हें बचाने आएगा?

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गजेंद्र सिंह भाटी