Showing posts with label Aziz Ansari. Show all posts
Showing posts with label Aziz Ansari. Show all posts

Saturday, October 8, 2011

सच्चे दोस्त साथ बैंक तक लूटा करते हैं

फिल्म: थर्टी मिनट्स ऑर लेस
निर्देशक: रुबिन फ्लैश्चर
कास्ट: जेसी आइजनबर्ग, अजीज अंसारी, दिलशाद वदसारिया, डैनी मेकब्राइट, निक स्वॉर्डसन
स्टार: ढाई, 2.5

'थर्टी मिनट्स ऑर लेस' के पोस्टर पर बड़े अक्षरों में लिखा था 'फ्रॉम द मेकर्स ऑफ जॉम्बीलैंड।' बता दूं कि 'जॉम्बीलैंड' डायरेक्टर रुबिन फ्लैश्चर की पहली और सबसे मजेदार फिल्म थी। इसमें भी जेसी आइजनबर्ग थे। तो वो जो डरपोक, निराश और फेल लड़के की इमेज मजबूती से जेसी के करियर में बनी उसमें रुबिन की इस पहली फिल्म का भी हाथ था। फिर 'द सोशल नेटवर्क' ने जेसी का रुतबा बदला। अब आई है 'थर्टी मिनट्स...।' इस फिल्म में उतना और वैसा एंटरटेनमेंट नहीं है जिसके होने की अनिवार्य शर्त हॉलीवुड की फिल्मों में बड़ी बेदर्दी से रखी जाती है। जिसमें ताबड़तोड़ स्पीड, लच्छेदार डायलॉग और हमारे प्रियदर्शन की फिल्मों जैसी भागमभाग हो। 'थर्टी मिनट्स...' में ये सब नहीं है। जो लोग स्क्रिप्ट के नेचरल और सिंपल होने की अहमियत समझते हैं, उन्हें ये तीन स्टार वाली अच्छी फिल्म लगेगी, बाकियों के लिए आधा स्टार कम। जेसी और अजीज का तालमेल जितना हंसोड़ और सुहावना है, उतना ही ढीला तालमेल है डैनी और निक स्वॉर्डसन का। फिल्म की पहली और सबसे अरुचिकर चीज यही है। दोस्त लोग जा सकते हैं, एंजॉय करेंगे। फैमिली के साथ इसलिए नहीं जा सकते क्योंकि इसे 'ए' रेटिंग मिली है। आप फिल्म में कहीं अचानक असहज हो उठेंगे। जो दर्शक कन्फ्यूज हैं वो डीवीडी का इंतजार कर सकते हैं या फिर फिल्म के टीवी पर आने का। फिल्म का एक फनी डायलॉग मुझे वो लगा जब निक के शरीर पर बम बंधा है और शेट उसे निकालने के उपाय ढूंढ रहा है और बोलता है, 'वॉट डिड दे डू इन हर्ट लॉकर।'

आधी कहानी
विटोज पिज्जा में डिलीवरी बॉय है निक (जेसी आइजनबर्ग)। विटोज की '30 मिनट में पिज्जा घर वरना फ्री' वाली पॉलिसी का शिकार निक हमेशा होता है। हमेशा कुछ सेकंड से चूक जाता है। बॉस की डांट खाता है। उसका स्कूल टाइम बेस्ट फ्रेंड शेट (अजीज अंसारी) अब खुद स्कूल टीचर है। निक उसकी जुड़वा बहन कैटी (दिलशाद वदसारिया) से प्यार करता है, पर शेट से छिपकर। वहीं, ड्वेन (डैनी मेकब्राइट) और ट्रैविस (निक स्वॉर्डसन) दो नाकारा इंसान हैं। बैठे मक्खियां मारना और फालतू काम करना पसंद है। इनके ढीले मिजाज पर ड्वेन का पूर्व आर्मीमैन पिता चिढ़ता है और इनको खूब सुनाता है। पर अब ड्वेन किसी हत्यारे को हायर करके अपने पिता को मरवाना चाहता है। (सीरियसली मरवाना चाहता है, पर फनी लगता है) ताकि फिर उसे कोई कुछ न कहे और पिता के पैसों से वह प्रॉस्टिट्यूशन का बिजनेस शुरू कर सके। इतनी कहानी इसलिए सुना दी क्योंकि फिल्म में कुछ सरप्राइजिंग है तो उसका ट्रीटमेंट और कैरेक्टर्स। कहानी नहीं। सुपारी की एवज में उसे एक लाख डॉलर की रकम देनी पड़ेगी। इसके लिए वह ट्रैविस के साथ मिलकर सोचता है कि किसी बंदे को बैंक लूटने के लिए ब्लैकमेल करे और पैसे का इंतजाम करे। इन दोनों के लिए बैंक लूटने वाला वो बंदा बदकिस्मती से बनता है निक। ऐसे में क्या उससे कट्टी कर चुका शेट उसका साथ देगा? लास्ट में क्या होगा? कैसे होगा? यही निककहानी है।

**************
गजेंद्र सिंह भाटी