डायरेक्टर: टॉम हैंक्स
कास्ट: जूलिया रॉबट्र्स, टॉम हैंक्स, गुगु मबाथा, सेड्रिक द एंटरटेनर, विल्मर वॉल्डरामा, जॉर्ज ताकेई
स्टार: दो, 2.0
टॉम हैंक्स की लिखी और डायरेक्ट की इस मूवी के लिए चंडीगढ़ में इससे बुरा और कुछ नहीं हो सकता था। टिकट काउंटर पर बैठी युवती फिल्म के बारे में पूछने पर बोली, 'केड़ी मूवी?' आखिर तक उनका

बिना कहानी जैसी कहानी
खुशमिजाज एक्स नैवीमेन लैरी क्राउन (टॉम हैंक्स) यू मार्ट स्टोर में काम करता है। पिछले नौ साल उसे बेस्ट वर्कर का अवॉर्ड दिया गया है, इस बार मिलता है नौकरी से निकाला। इस पार्ट तक आते-आते 'अप इन द एयर' के जॉर्ज क्लूनी याद आने लगते हैं। टर्मिनेशन लेटर देने की बेस्ट गाथा तो वही है। खैर, लैरी को कारण ये बताया जाता है कि उसने अपनी पढ़ाई पूरी नहीं की थी। थोड़ी निराशा के बाद वह ईस्ट वैली कम्युनिटी कॉलेज में भर्ती होता है। जिस स्पीच कोर्स में उसने दाखिला लिया है उसकी निराश-खड़ूस प्रफेसर है मर्सी उर्फ मिस टेनो (जूलिया रॉबट्र्स). वह डॉ. मत्सुतानी (जॉर्ज ताकेई) की इकोनॉमिक्स क्लास में भी बैठता है और वहां बेस्ट है। वहीं उसकी यंग दोस्त बनती है तालिया (गुगु मबाथा). तालिया का बॉयफ्रेंड है स्कूटर गैंग का लीडर और अच्छे दिलवाला डेल गोर्दो (विल्मर वॉल्डरामा). देखिए ऐसे उलझिए मत, बताने को कहानी के नाम पर बस यही है। बाकी ये तो अंदाजा आपको भी होगा कि आखिरकार लैरी और टेनो एक-दूसरे के दिल में बस जाएंगे।
दो दिग्गज, दोनों व्यर्थ
जूलिया का रोल स्क्रिप्टवाइज बिल्कुल भी ऐसा नहीं है कि उस पर मोहित हो सकें। टॉम हैंक्स कॉलेज में आकर आखिर क्या हासिल करते हैं, ये समझ नहीं आता है। वह कहते हैं कि मिस टेनो की क्लास ने उनकी लाइफ बदल दी जबकि पूरे सैशन के दौरान वह सिखाती कुछ भी नहीं है। टॉम के साथ पढऩे वाली तालिया उसकी बेस्ट फ्रेंड क्यों है ये भी नहीं बताया जाता। वह टॉम को नई ड्रेसेज, घड़ी और हेयर कट देती रहती है, उसकी चिंता करती रहती है, क्यों ये नहीं पता। शायद सिर्फ इसलिए कि वो टॉम हैंक्स है। इसमें सुकून भरा सिर्फ उनका स्कूटर और लाइफ को जीने का शांत अंदाज है। हां, ये जरूर है कि ये कहानी, टॉम जैसे लोग और टेनो जैसी प्रफेसर हमारे आस-पास के ही लगते हैं। शायद इसी ने टॉम को कहानी लिखने के लिए प्रेरित किया हो।
आखिर में...
एक फिल्म पहले फिल्म होती है फिर कुछ और। चूंकि अब टॉम इतनी क्लासिक फिल्में कर चुके हैं तो किसी लैजेंड की तरह दर्शकों के छोर से नहीं खुद के छोर से सोचने लगते हैं। जिन्हें बुरा लग रहा हो वो नाखुश न हों 'द टर्मिनल', 'फॉरेस्ट गंप', 'कास्ट अवे' और 'सेविंग प्राइवेट रायन' जैसी हैंक्स मूवीज की ओर मुड़ें।
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गजेंद्र सिंह भाटी