सोमवार, 20 अगस्त 2012

उसने हमें हिम्मती होना सिखाया, पर उसे जिदंगी ने तोड़-मरोड़कर मार दियाः टोनी स्कॉट, अच्छा फिल्मकार, अच्छा इंसान, अलविदा (1944-2012)

लॉस एंजेल्स के ऊंचे पुल से कूदकर जान दे दी अमेरिका के नामी फिल्म डायरेक्टर टोनी स्कॉट ने

Tony made movies like 'The Last Boy Scout', 'True Romance' and 'Spy Game' too.
If you look at my body of work, there's always a dark side to my characters. They've always got a skeleton in the closet, they've always got a subtext. I like that. Whether it's Bruce Willis in Last Boy Scout or Denzel in this. I think fear, and there's two ways of looking at fear. The most frightening thing I do in my life is getting up and shooting movies. Commercials, movies, every morning I'm bolt upright on one hour two hours sleep, before the alarm clock goes off. That's a good thing. That fear motivates me, and I enjoy that fear. I'm perverse in that way. I do other things. I've rock climbed all my life. Whenever I finish a movie, I do multi-day ascents, I got hang on a wall in Yosemite. That fear is tangible. That's black and white. I can make this hold or that hold The other fear is intangible, it's very abstract, and that's more frightening.
Tony Scott, Before the release of ‘The Taking Of Pelham 1 2 3’

दिमाग़ पर अभी-अभी थंडर के देवता थोर का लोहे के पहाड़ सा हथौड़ा गिरा है। ऐसा नहीं हो सकता! इतना बुरा मजाक क्यों? सिनेमा जगत के लिए बड़ी, बहुत बड़ी दुख की ख़बर है। अमेरिका के बेहद प्रतिष्ठित फिल्मकार, जिनकी फिल्में देख-देखकर पूरी पीढ़ी जवान हुई है, वो “टोनी स्कॉट” नहीं रहे। नहीं रहे! कहने का जरा नम्र तरीका है, पर मृत्यु उतनी नम्र नहीं रही, उनके साथ। 68 बरस की उम्र में उन्होंने कैलिफॉर्निया के 6000 से भी ज्यादा फुट ऊंचे विंसेंट थॉमस ब्रिज से कूदकर जान दे दी। कारणों का पता नहीं चला है। पर सोचकर ही पीड़ा होती है कि वो क्या वजहें रही होंगी कि इतने मजबूत और मुश्किलों से जूझते असंभव परिस्थितियों में घिरे होने के बावजूद हर बार जीतकर दिखाने वाले किरदार अपनी फिल्मों में रचने वाले इस उम्दा फिल्मकार को यूं जान देनी पड़ी? ऐसे फिल्मकार को जिनकी फिल्म ‘टॉप गन’ देखकर सुनीता विलियम्स को फाइटर पायलेट बनने का जज्बा मिला, और उसी राह पर आगे बढ़ते हुए आज वह दूसरी बार अंतरिक्ष में हैं। यकीन करने को जी नहीं चाहता कि जिसने अपनी फिल्मों के जरिए लाखों लोगों को प्रेरणा दी, हिम्मती होना सिखाया, जिसकी फिल्में हौसला देती रहेंगी, उसे जिंदगी ने मार दिया। तोड़कर मार दिया (अच्छा हो कि तथ्य कुछ और ही निकलें)।

वैसे तो वह टीवी प्रोग्रैम्स के प्रोडक्शन में भी जुटे हुए थे, पर उनकी आखिरी फिल्म 2010 में आई थी, ‘अनस्टॉपेबल’। फिल्म में फ्रैंक (डेंजल वॉशिंगटन) अपनी हिम्मत और यकीन से, एक ऐसी बेकाबू मालवाहक रेलगाड़ी को रोककर दिखाता है जिसे रोकना लगभग नामुमकिन है। डेंजल वॉशिंगटन ने टोनी की कई दूसरी फिल्मों में ऐसे ही प्रेरणादायक रोल किए हैं। 1995 में आई शानदार फिल्म ‘क्रिमसन टाइड’ एक परमाणु हथियार लदी पनडुब्बी के भीतर दो ऑफिसर्स के बीच हो रही आदेशों को मानने न मानने की नैतिक-सात्यिक लड़ाई बताती है। एक निर्देशक के तौर पर फिल्म को टोनी ने बहुत अच्छे से बढ़ाया था। इसमें डेंजल का किरदार अपने कमांडिंग ऑफिसर (जीन हैकमैन ने निभाया) के सामने निडर होकर खड़ा नजर आता है, जो सेंट्रल बेस से आए संदेशों की गलत गणना करके रूस के विरुद्ध परमाणु हथियार छोड़ने के आदेश दे देता है।

‘द टेकिंग ऑफ फेलम 123’ भी रोमांचक फिल्म थी। टोनी की फिल्म का नायक (डेंजल) यहां न्यू यॉर्क सबवे स्टेशन की ट्रेन को कब्जाए आतंकियों से बंधक-वार्ता करता है, जो उसका काम नहीं है, फिर भी वह दूसरों की जान बचाने के लिए ये काम हाथ में लेता है। डेंजल को लेकर ही टोनी ने ‘देजा वू’ बनाई थी। जिन्होंने गिनी चुनी अंग्रेजी फिल्में भी देखी हैं, उन्होंने ‘देजा वू’ देखी होगी। एक ऑफिसर जो अपनी जान की परवाह किए बगैर एक असंभव कदम के तहत बीत चुके घटनाक्रमों में जाता है और एक लड़की की जान बचाता है। टोनी की 2004 में आई फिल्म ‘मैन ऑन फायर’ की बॉलीवुड रीमेक भी बनी थी अमिताभ बच्चन को लेकर ‘एक अजनबी’, जो बिल्कुल नहीं चली।

ब्रिटिश मूल के टोनी की 1986 में आई अमेरिकी एयरफोर्स की पृष्ठभूमि वाली फिल्म ‘टॉप गन’ (दूसरी फिल्म) ने अमेरिका के युवाओं को दीवाना कर दिया था। इस फिल्म के बाद हर कोई लूटेनेंट पीट मैवरिक (टॉम क्रूज) की तरह कावासाकी निन्जा 800 बाइक चलाना चाहता था, उनकी तरह रेबैन के एविएटर्स पहनना चाहता था, सेना में होते हुए भी हल्का सा बागी होना चाहता था और फाइटर पायलट बनना चाहता था। सुनीता विलियम्स की प्रेरणा की बात तो इस फिल्म के संदर्भ में मैं कर चुका हूं।

उनकी फिल्म ‘बेवरली हिल्स कॉप-2’ में अश्वेत अभिनेता ऐडी मर्फी अपराधियों से लड़ते हैं, उतनी ही मनोरंजनदार ‘द लास्ट बॉय स्काउट’ में डिटेक्टिव ब्रूस विलिस एक लड़की की हत्या की खतरे भरी गुत्थी सुलझाते हैं। ऐसी ही थीम पर बनी ‘एनिमी ऑफ द स्टेट’ में अश्वेत अभिनेता विल स्मिथ सत्ता में बैठे लोगों से और पूरे सिस्टम के संसाधनों से लड़ते हैं। टोनी की ज्यादातर फिल्मों में इंसान हर तरह की लड़ाई लड़ रहा होता है, फिर भी कभी घुटने नहीं टेकता। ‘एनिमी ऑफ द स्टेट’ तो अपने वक्त की बेहद अच्छी फिल्म थी। ऐसे वक्त में जब भारत में यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर का काम बड़े स्तर पर चल रहा है, कोई 14 बरस पहले बन गई ये फिल्म उसके कई अनचाहे खतरों की तरफ इशारा करती है।

वह ब्रिटिश मूल के दिग्गज अमेरिकी फिल्मकार रिडली स्कॉट के छोटे भाई थे। दोनों भाइयों ने साथ भी काम किया। प्रोड्यूसर-डायरेक्टर की गद्दी आपस में बदली। रिडली स्कॉट की ‘प्रोमेथियस’ हाल ही में रिलीज हुई थी। रिडली वही हैं जिन्होंने 1979 में तब की अद्भुत ‘एलियन’ बनाई थी। बाकी लोग उन्होंने ‘ब्लैक हॉक डाउन’, ‘किंगडम ऑफ हैवन’, ‘ब्लेड रनर’ और ‘ग्लैडियेटर’ के डायरेक्टर के तौर पर जानते होंगे।

अपने पीछे टोनी दो बेटे और वाइफ छोड़ गए हैं। उनकी गाड़ी में पुलिस को सुसाइड नोट मिला है, जिसमें लिखे का खुलासा अभी नहीं किया गया है, पर भला और ड्रमैटिक क्या होगा। ये जरूर है कि खत में लिखे टोनी के शब्दों को जानकर और जान सकते हैं कि आखिर उन्होंने क्यों ऐसा किया होगा? जाने से पहले अपनी अंतिम स्क्रिप्ट में उन्होंने इतने वीर नायक के आत्महत्या करने की क्या वजहें लिखी होंगी? कुछ भी रही हों, मैं किसी भी वजह से संतुष्ट हो जाने या मान जाने को तैयार नहीं हूं ! गुजरे हफ्ते भारत के उल्लेखनीय-शानदार सिनेमैटोग्राफर अशोक मेहता (‘उत्सव’ और ‘बैंडिट क्वीन’ के यादगार चलचित्र दर्ज करने वाले) कैंसर से हार गए, अब टोनी स्कॉट।
Tony Scott and Denzel Washington, 2004, On the set of 'Man on Fire'.  Photo Courtesy: - 20th Century Fox & Regency Enterprises.
आप ससम्मान सराहे जाएंगे टोनी, याद किए जाएंगे, आपकी फिल्मों की रिपीट वैल्यू टीवी पर कभी नहीं घटेगी। वक्त के साथ आपके काम की कदर और बढ़ती जाएगी। अलविदा...
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गजेंद्र सिंह भाटी