मंगलवार, 24 जुलाई 2012

दिमागी और समाजी अंधेरों से गुजरकर उठता है डार्क नाइट, और ऐसे ही बनता है मास्कधारी बेन भी

फिल्मः द डार्क नाइट राइजेज
डायरेक्टरः क्रिस्टोफर नोलन
कास्टः क्रिस्टियान बेल, टॉम हार्डी, गैरी ओल्डमैन, ऐनी हैथवे, मैरियान कोटिलार्ड, जोसेफ गॉर्डन लुइट, माइकल केन, मॉर्गन फ्रीमैन
स्टारः साढ़े तीन, 3.5
सुझाव: फिल्म तकनीक और स्क्रिप्ट के लिहाज से बहुत अच्छी बनी है इसलिए दोस्त और नोलन फैन्स जरूर देख सकते हैं। बच्चों के लिए फिल्म देखना की उपलब्धि नहीं होगी। खौफनाक विलेन बेन से सम्मोहित होने से पहले जान लें कि ये रोल बड़े अच्छे व्यवहार वाले ब्रिटिश एक्टर-राइटर टॉम हार्डी ने निभाया है।
पिछली बार थियेटर में ऐसे भय का निर्माण कैथरीन बिगलो की ऑस्कर विनिंग फिल्म ‘द हर्ट लॉकर’ ने किया था। इस बार क्रिस्टोफर नोलन की ‘द डार्क नाइट राइजेज’ ने। दरअसल नोलन बैटमैन फ्रैंचाइजी में भय, दर्द, टेंशन, मंथन, अंधेरा, संकेत और अजब सी सीरियस स्टोरीटेलिंग लेकर आए हैं। पिछली फिल्म ‘द डार्क नाइट’ में उन्होंने हीथ लेजर के रूप में कपकपा देने वाला जोकर क्रिएट किया, इस बार का खौफ है बेन (टॉम हार्डी)। कहानी में बेन को रायज-अल-गुल (लियाम नीसन) ने ट्रेन किया है, जिसने बैटमैन को ट्रेनिंग दी थी। ये बात रौंगटे खड़े करती है यानी ये विलेन हमारे हीरो से ज्यादा तगड़ा है। खैर, हिंदी और अमेरिकी फिल्मों में ये शायद पहला विलेन है जो शरीर से भी बलवान है और दिमाग से चाणक्य (कम से कम कहानी में उसे दर्शाया तो यूं ही गया है)।

फिल्म में बेन को इंट्रोड्यूस करने वाला सीन देखिए। अमेरिकी एजेंसी सीआईए उसे हवाई जहाज में बंदी बनाकर ले जा रही है और पीछे से उसके आदमी उसके ही प्लैन के मुताबिक एक बड़ा यान लेकर आते हैं। उस हवाई जहाज को खिलौने की तरह आसमान में ही तोड़-मरोड़कर एक साइंटिस्ट को किडनैप कर ले जाते हैं। बेन की आवाज के साथ किया गया प्रयोग फिल्म की जान है। वह जब-जब बोलता है लोग उसे सुनना चाहते हैं, बावजूद इसके कि वह डराएगा।

इस बार कैटवूमन यानी सलीना कायेल (ऐनी हैथवे), ब्रूस के क्लीन एनर्जी प्लांट में इनवेस्ट करने की इच्छुक मिरांडा (मैरियन कोटिलार्ड) और यंग पुलिस पेट्रोल ऑफिसर ब्लेक (जोसेफ गॉर्डन लुइट, जो बाद में रॉबिन बनेंगे) की फिल्म में एंट्री हुई है। सब प्रभावित करते हैं। मिरांडा का किरदार हालांकि सबसे हल्का रहता है। क्रिस्टोफर नोलन और उनके भाई जोनाथन का लिखा स्क्रीनप्ले क्लाइमैक्स से जरा पहले तक रोचक बना रहता है। इमेज मेकिंग और इमोशंस से भरपूर। हांस जिमर का म्यूजिक जिक्र करने लायक है। गौर करेंगे तो हर सीन के पीछे का बैकग्राउंड म्यूजिक उस सीन के इमोशन को मीलों आगे ले जाता है।

इन सबके अलावा नोलन और एक्टर क्रिस्टियान बेल यहां भी ब्रूस उर्फ बैटमैन से सिर्फ उछाल-छलांग ही नहीं करवाते, उसे गहरी सोच और उलझन में डूबा दिखाते हैं। इस हीरो के दिमाग में छाया ये अंधेरा ही उसे डार्क नाइट (यौद्धा) बनाता है। एक और अच्छी बात ये है कि ‘द अमेजिंग स्पाइडरमैन’ की ही तरह इस फिल्म का बैटमैन भी ज्यादा ह्यूमन हुआ है। मौजूदा विश्व के ढेर सारे राजनीतिक मुद्दों और बहसों को भी क्रिस्टोफर नोलन की स्क्रिप्ट से जोड़कर देखा जा सकता है। उनकी फिल्म के शहर गॉथम और हमारे आसपास की घटनाओं में ढेर सारी समानताएं हैं।

जो तथ्य अच्छे लगे
  • ब्रूस के ताबूत पर एल्फ्रेड का रोना। ब्रिटिश एक्टर माइकल केन जबर्दस्त हैं।
  • मॉर्गन फ्रीमैन का फिल्म में होना राहत है। वह टफ सी फिल्म को आसान बनाते हैं। हालांकि रोल छोटा है।
  • ब्रूस यानी बैटमैन का दुनिया की सबसे गंदली जेल में कैद होना और बाद में आशावान होकर बाहर निकलना।
  • ब्लेक की बैटमैन में आस्था। वह बाकी दुनिया की तरहअपने हीरो को गलत नहीं समझता।
 
‘द डार्क नाइट’ के आठ साल बाद
गॉथम शहर में शांति है। ‘डेंट कानून’ सख्ताई से लागू करके कमिश्नर गॉर्डन (गैरी ओल्डमैन) ने अपराधियों को जेल में डाल दिया है। उधर आठ साल से बैटमैन और कारोबारी ब्रूस वेन (क्रिस्टियान बेल) अंडरग्राउंड हैं। ब्रूस की कंपनी वेन एंटरप्राइजेज ने स्वच्छ ऊर्जा में पैसे लगाए मगर बाद में प्रोजेक्ट बंद कर दिया ताकि बुरी ताकतें इससे परमाणु हथियार न बना लें। इससे कंपनी घाटे में जा रही है। बेन (टॉम हार्डी) नाम का खतरनाक मास्कधारी आतंकी शहर के नीचे अपनी आर्मी और हथियार बना रहा है। ब्रूस को जब पता लगता है तो गॉथम के लोगों की मदद करने वह एक बार फिर बैटमैन बनकर लौटने का मन बनाता है। मगर कैसे? दिमाग और शरीर से वह काफी कमजोर हो चुका है और बेन बेहद ताकतवर है। हालात खौफनाक होने वाले हैं।
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गजेंद्र सिंह भाटी