रविवार, 19 फ़रवरी 2012

खुद जलता और हमें भी जलाता घोस्ट राइडर

फिल्मः घोस्ट राइडर स्पिरिट ऑफ वेंजेंस
निर्देशकः मार्क नेवलडाइन और ब्रायन टेलर
कास्टः निकोलस केज, फरग्यूस रियॉर्डेन, सियरेन हिंड्स, जॉनी विटवर्थ, इदरिस एल्बा, वॉयलांत प्लासिदो
स्टारः डेढ़, 1.5

मार्वल कॉमिक्स के पाठकों के क्रेजी हीरो घोस्ट राइडर को दूसरी फिल्म में तब्दील करने का जिम्मा इस बार एक फ्रैश निर्देशक जोड़ी को मिला था। अमेरिकी मार्क नेवलडाइन और ब्रायन टेलर की जोड़ी को। एक कॉमिक्स के नायक को फिल्मी रूप देने में जितना बेसिर-पैर का होने की जरूरत होती है, उतना ये दोनों हैं। जैसी इनकी बनाई पहली फिल्म 'क्रैंक’ भी थी, जैसन स्टैथम के साथ। पर इतने जोश-खरोश के बावजूद फिल्म मनोरंजन नहीं दे पाती है। थकाती है, पकाती है और स्क्रिप्ट बिना किसी कहानीनुमा तेवर के आगे बढ़ती है। अगर एक बार ट्राई भी करना चाहें तो डीवीडी या टीवी पर करें। इसके थ्रीडी दृश्य भी इतने रोचक नहीं हैं कि थियेटर जाया जाए।

फिल्म में नेवलडाइन और टेलर ने 2007 में आई 'घोस्ट राइडर’ से कुछ नया किया है, जो अफसोस है कि चल नहीं पाता। मसलन, निकोलस केज को बतौर एक्टर कुछ खोलने की कोशिश की है, जिसके परिणामस्वरूप वह कुछ सीन में अजीब चेहरा बनाते हैं, और अजीब ढंग से बात करने की कोशिश करते हैं। मगर यहां निकोलस बिल्कुल भी फनी नहीं लगते। हम पकते हैं। उन्होंने फिल्म में ज्यादा स्कैच वाले ग्राफिक इस्तेमाल किए हैं। ये प्रयोग बार-बार किया गया है, जो फिल्म की गति को धीमा करता है और पूरे स्कैच बोरियत भरे हैं। हालांकि ऐसा वो नए दर्शकों को घोस्ट राइडर की कहानी और किरदार समझाने के लिए करते हैं। नेवलडाइन-टेलर को ये समझना था कि निकोलस कम बोलने वाले अंदाज और शून्य में चले जाने वाले चेहरे के साथ ज्यादा प्रभावित करते हैं। जो यहां नहीं है। दूसरा, जॉनी ब्लैज होते हुए घोस्ट राइडर के शाप से मुक्त होने की कोशिश में उनकी उलझन, उनके हीरोइज्म को कम करती है।

कहानी किसी से छिपी नहीं है, पर संक्षेप में कहूं तो जॉनी ब्लैज उत्तरी यूरोप में कहीं छिपा है और अपने घोस्ट राइडर होने के शाप से छुटकारा पाने को जूझ रहा है। वहीं दूसरी ओर नाडिया (वॉयलांत प्लासिदो) अपने बेटे डैनी (फरग्यूस रिर्योडेन) को लेकर भागी-भागी फिर रही है, पीछे है शैतान रोर्क (सियरेन हिंड्स) का गुंडा करिगन (जॉनी विटवर्थ)। रोर्क ने करिगन को डैनी को उसके पास लाने का काम सौंपा है। रोर्क किसी खास ग्रहों वाले दिन अपने ही अंश वाले डैनी के शरीर को लेना चाहता है। अब मॉरो (इदरिस एल्बा) जॉनी को ढूंढता है और उसे डैनी को बचाने को कहता है। वह कहता है कि बदले में उसे उसके शाप से मुक्त करवा देगा। तो ये है मोटा-मोटी कहानी।

फिल्म में तीन सबसे प्रभावी एक्टर हैं सियरेन हिंड्स, जॉनी विटवर्थ और इदरिस एल्बा। सियरेन 'द वूमन इन ब्लैक’ में भी थे। और यहां वो बिल्कुल अलग हैं। अपने पहले सीन में जब वह टेलीफोन बूथ से करिगन से बात करते हैं, सबसे प्रभावी हैं। फिल्म में धीरे-धीरे उनका चेहरा बिगड़ता जाता है और इस दौरान वह मेकअप भी ऐसे कैरी करते हैं कि उनका असल चेहरा ही लगता है। इदरिस फिल्म में सबसे ज्यादा उमंग भरा फैक्टर लाते हैं। पर कहानी में उनके कैरेक्टर को सबसे कम आंका गया है। 'घोस्ट राइडर: द स्पिरिट ऑफ वेंजेंस’ एक ऐसी फिल्म होनी थी, कि जिसे देखने के लिए लोग बिना सोचे समझे उमड़ते। मगर ऐसा हो नहीं पाता। इस फिल्म में न तो विजुअल इफैक्ट्स शानदार हो पाते हैं और न ही स्क्रिप्ट थ्रिलिंग है। फिल्म को लेकर जो बची-खुची उमीद बचती है उसे नेवलडाइन-टेलर की जोड़ी का बिखरा निर्देशन मार देता है। फिल्म में निकोलस केज कम है और जलता हुआ घोस्ट राइडर का कंकाल ज्यादा। ये परेशान करता है। हिसाब से उसका जलते हुए दुश्मनों का खत्म करना कम अवधि में होना चाहिए था, पर वो दुश्मनों की आंखों में आंखें डाल उन्हें एटिट्यूड के साथ कई पलों तक निहारता या डराता रहता है। उसके ऐसा करने के पीछे अगर कोई वजह भी है तो हमें समझ नहीं आती।*** *** *** *** ***
गजेंद्र सिंह भाटी